दुआओं के कुबूल होने की रात है शबे कद्र
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जौनपुर। शबे कद्र की इस्लाम में बहुत अहमियत है। क्योंकि इसी रात में कुरान नाज़िल किया गया, पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब ने रमज़ान की आखिरी 10 रातों में शबे कद्र के तलाश करने का हुक्म दिया है उन दस रातों में से जो दो की संख्या से न कट पाए, यानि ताक रातें अर्थात शबे 19 शबे, 21 शबे, 23 शबे 25, शबे 27, शबे 29 अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद ने रमज़ान के आखिरी अशरे यानि 21 से 30 रमजान तक में मस्जिदों में एतेकाफ करने वालों की दोआओं के कुबूल होने की बात भी कही है। शबे कद्र में कुरान नाजिल किया गया। इसीलिए मुसलमान शबे कद्र में रात भर नमाजें, कुरान की तिलावत विशेष आमाल अंजाम देने हैं, और अपने गुनाहों की माफी की दोआएं अपनी अच्छी जिन्दगी की दोआएं करते हैं। शिया समुदाय 23वीं शबे कद्र की विशेष अहमियत देते है। इसी क्रम में 23वीं शबे कद्र को शिया मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों की मस्जिदों में रात भर नमाजियों की चहल पहल दिखाई दी जो नमाजे कुरान खानी और खुसूसी आमाल अंजाम देते नजर आए। शिया जामा मस्जिद के मुतवली शेख अली मंजर डेजी ने बताया कि शबे कद्र की विशेष नमाज एवं आमाल शिया जामा मस्जिद में इमामे जुमा मौलाना महफुजुल हसन खां की कयादत में अंजाम दिये गये। इमामे जुमा मौलाना महफुजूल हसन खां ने शबे कद्र के महत्व पर प्रकाश डाला, कुरान की खास सूरओं की तिलावत की जिनकी तिलावत का शबे कद्र में हुक्म है। उन्होने बताया कि शबे कद्र की नेमतें जिसे हासिल नहीं हुई, वोह बदनसीब है, क्योंकि शबे कद्र गुनाहों से निजात हासिल करने की रात है, दुआओं की कुबूल होने की रात है। रात भर इबादत करने के बाद सेहरी खाकर नमाजे सुबह अदा करके ही लोग मस्जिद से गये, शिया जामा मस्जिद इन्तेजामिया कमेटी एवं मोमनीन के सहयोग से सहेरी का इन्तेजाम किया गया था। रात्रि भर नमाजियों के लिए चाय एवं पानी की भी व्यवस्था थी। उक्त अवसर पर मस्जिद इन्तेजामिया कमेटी के सर्वश्री असलम नकवी, तालिब रजा शकिल एडवोकेट, एमएम हीरा, अली अनुश, तहसीन अब्बास सोनी, शहजादे, शकी हैदर काजू, जाकिर जैदी, पप्पू हाईटेक, अहमद इत्यादि लोगों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।