शहीद संतोष के परिजनों का रो रोकर बुरा हाल , देर शाम पार्थिक शरीर पहुंचेगी गांव
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जौनपुर। मथुरा के जवाहर बाग में जौनपुर जिले का लाल संतोष यादव शहीद हो गया। एसओ फरह के पद पर तैनात रहे संतोष ने सात दिन पहले ही पत्नी व बच्चों को मथुरा से केवटली गांव भेज दिया था। घर पर बूढ़ी मां व दो भाई रहते हैं। संतोष की मौत की खबर केवटली गांव पहुंची तो वहां कोहराम गया। देखते ही देखते आसपास के गांव के लोग भी शहीद संतोष के घर पहुंच गए। भाई और घर की महिलाओं का रो रोकर बुरा हाल हो गया। वहां मौजूद हर व्यक्ति रो रहा था। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि संतोष अब इस दुनिया में नही रहा। फ़िलहाल अब संतोष का परिवार और परिवार को अपने लाडले का अंतिम दर्शन करने के लिए इंतज़ार कर आज देर शाम तक उनका पार्थिक शरीर गांव पहुंचने की उम्मीद है।
जौनपुर के सुजानगंज थानाक्षेत्र के अंतिम छोर पर बसे गांव केवटली का लाल संतोष यादव मथुरा के फरह थाने पर तैनात था। गुरूवार को राजकीय उद्यान जवाहरबाग में धरना दे रहे कोर्ट के निर्देश पर खाली कराने के लिए प्रशासन व पुलिस बल ने अभियान शुरू किया था। इसी दौरान हुई फायरिंग में वहां के एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी, एसओ फरह संतोष यादव सहित दर्जनों पुलिसर्किमयों को गोली लगी थी। सिर में दो गोली लगने से संतोष यादव की मौत हो गई। संतोष की मौत की सूचना जैसे ही गांव पहुंची लोग स्तब्ध रह गए। भाई ने संतोष मोबाइल नम्बर पर फोन किया लेकिन बात नहीं हो पायी। इसके बाद मथुरा में अन्य परिचितों को फोन किया गया तो वो मनहूस खबर परिवार पर बिजली बनकर टूटी। घटना का पता लगने के बाद छोटा भाई रायसाहब यादव, भांजा चन्द्र प्रकाश यादव कुछ लोगों के साथ मथुरा रवाना हो गये। गांव के लोग भी सांत्वना देने संतोष के घर पहुंचने लगे। जिले के आला अधिकारियों ने भी वहां पहुंचकर परिवार का दर्द बांटा। हर तरफ सिर्फ चीख पुकार ही मची हुई थी। परिवार का हर सदस्य बेसुध सा पड़ा शाहीद संतोष यादव को ही याद कर रहा था। संतोष ने इसी 27 मई को पत्नी मिथिलेश यादव, दस वर्षीय बेटे निखिल, 8 वर्षीय बेटी श्रेया को जौनपुर भेज दिया था। गांव में संतोष की मां अभिराजी देवी, भाई अजय राय व रायसाहब रहते हैं। रायसाहब इस समय इलाहाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। संतोष के पिता लालबहादुर यादव की चार साल पहले मौत हो चुकी है। पूरे परिवार का भार संतोष के ही कंधे पर था। संतोष के जाने के बाद बूढ़ी मां के अलावा दो मासूम बेटों का सहारा छिन गया।