शैतान को मानने वाले हैं आइएसआइएस के लोग : मौ0 डा0 कल्बे रुशेद
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जौनपुर। मौलाना सैयद मकबूल अहमद मरहूम की याद में आयोजित आल इण्डिया पांच दिवसीय सालाना मजालिसे अजा ;100वां सालद्ध अन्तिम दिन रविवार को मकबूल मंजिल बलुआघाट इमामबाड़े में मजलिस को खेताब करते हुये दिल्ली से आये मोलाना डा0 कल्बे रुशेद ने कहा कि शैतान को मानने वालों को अड्डा आइएसआइएस व अलकायदा है।
इस्लाम ने कुर्बानी देना सिखाया है किसी की जान लेना नहीं। यही वजह थी कि करबला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन व उनके जानशिनों ने सर कटाने के लिए आगे आये और इस्लाम की रक्षा करते हुये शहीद हो गये। आज इस्लाम के नाम पर जो कत्ले-आम किया जा रहा है वो शैतान की मदद कर रह है।
इससे पूर्व मजलिस को ग्वालियर से आये मौलाना डा0 कल्बे रजा व कमर सुल्तान दिल्ली में सम्बोधित करते हुए कहा कि करबला ने हमें राहे हक का रास्ता दिखाया है और इमाम हुसैन ने जिस तरह से अपने नाना के दीन इस्लाम को बचाने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया ऐसा दुनिया में कही और देखने को नहीं मिला। आज कुछ शैतानी ताकतें करबला, इराक, सीरिया, शाम, लेबनान व सउदी अरब जैसे मुल्कों में इस्लाम के नाम पर कत्ले आम कर रहे हैं। इनके निशाने पर महिलाओं के साथ-साथ बच्चे व बुढ़े भी रहते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ हम सबको मिलकर आवाज उठाने की जरुरत है यही नहीं कुछ देश की हुकूमतें इनको मदद भी करती हैं। इनके निशाने पर इमाम के रौजे भी रहते हैं। हम सब मिलकर ये दुआ करते हैं कि मजलुमों पर जो जुल्म व सितम किया जा रहा है खुदा उन पर रहम करें और हम सब मिलकर शैतानों के मंशूबों को कभी पूरा न होने देंगे।मजलिस के बाद शबीहे ताबूत अलम व झुला बरामद किया गया। अजुमन सिपाहे हुसैनी भनौली, सादात अमेठी ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर पूरे माहोल को गमगीन कर दिया। सोजखानी मुजफ्फर नगर से आये असगर मेंहदी व उनके हमनवा ने किया। पेशानी शोहरत व कमर जौनपुरी ने किया।
इस मौके पर डा0 कमर अब्बास, हाजी मो0 हसन नसीम, मिसम मेंहदी, अहमद अली प्यारे, खुर्शीद मेंहदी, मोहम्मद हैदर, तनवीर हसन, तौकीर हसन, मेंहदी अब्बास रुमी, हसनैन कमर दीपू, मो0 इरफान हैदर, फैसल हसन तबरेज, रिजवान हैदर राजा, मो0 हैदर, आजम जैदी, सै0 बाकर हसन, कैफी रिजवी सहित अन्य लोग मौजूद रहे। संचालन डा0 इन्तेजार मेंहदी ने किया तथा आभार हाजी सादिक मेहदी, शाहिद मेहदी ने किया।
इस्लाम ने कुर्बानी देना सिखाया है किसी की जान लेना नहीं। यही वजह थी कि करबला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन व उनके जानशिनों ने सर कटाने के लिए आगे आये और इस्लाम की रक्षा करते हुये शहीद हो गये। आज इस्लाम के नाम पर जो कत्ले-आम किया जा रहा है वो शैतान की मदद कर रह है।
इससे पूर्व मजलिस को ग्वालियर से आये मौलाना डा0 कल्बे रजा व कमर सुल्तान दिल्ली में सम्बोधित करते हुए कहा कि करबला ने हमें राहे हक का रास्ता दिखाया है और इमाम हुसैन ने जिस तरह से अपने नाना के दीन इस्लाम को बचाने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया ऐसा दुनिया में कही और देखने को नहीं मिला। आज कुछ शैतानी ताकतें करबला, इराक, सीरिया, शाम, लेबनान व सउदी अरब जैसे मुल्कों में इस्लाम के नाम पर कत्ले आम कर रहे हैं। इनके निशाने पर महिलाओं के साथ-साथ बच्चे व बुढ़े भी रहते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ हम सबको मिलकर आवाज उठाने की जरुरत है यही नहीं कुछ देश की हुकूमतें इनको मदद भी करती हैं। इनके निशाने पर इमाम के रौजे भी रहते हैं। हम सब मिलकर ये दुआ करते हैं कि मजलुमों पर जो जुल्म व सितम किया जा रहा है खुदा उन पर रहम करें और हम सब मिलकर शैतानों के मंशूबों को कभी पूरा न होने देंगे।मजलिस के बाद शबीहे ताबूत अलम व झुला बरामद किया गया। अजुमन सिपाहे हुसैनी भनौली, सादात अमेठी ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर पूरे माहोल को गमगीन कर दिया। सोजखानी मुजफ्फर नगर से आये असगर मेंहदी व उनके हमनवा ने किया। पेशानी शोहरत व कमर जौनपुरी ने किया।
इस मौके पर डा0 कमर अब्बास, हाजी मो0 हसन नसीम, मिसम मेंहदी, अहमद अली प्यारे, खुर्शीद मेंहदी, मोहम्मद हैदर, तनवीर हसन, तौकीर हसन, मेंहदी अब्बास रुमी, हसनैन कमर दीपू, मो0 इरफान हैदर, फैसल हसन तबरेज, रिजवान हैदर राजा, मो0 हैदर, आजम जैदी, सै0 बाकर हसन, कैफी रिजवी सहित अन्य लोग मौजूद रहे। संचालन डा0 इन्तेजार मेंहदी ने किया तथा आभार हाजी सादिक मेहदी, शाहिद मेहदी ने किया।