पत्रकार स्वअध्यायी बने : डा. सुनील कुमार

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में सोमवार को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया गया। जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह ने कहा कि आज भी हिन्दी पत्रकारिता का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दी पत्रकारिता में समाज के मनोविज्ञान को समझा है। इसी के चलते यह जनमानस से सरोकार रखने वाली पत्रकारिता बन गयी है।
​विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डा. अवध बिहारी सिंह ने कहा कि तिलक, गांधी और भगत सिंह सहित आजादी के दौर के प्राय: सभी क्रांतिकारियों-राजनेताओं ने मिशन के लिए पत्रकारिता का सहारा लिया। वह भी भाषायी पत्रकारिता, खासकर हिंदी पत्रकारिता का, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचाई जा सके। आज पत्रकारिता में इस मिशन या समर्पण को बनाए रखने के लिए समाज के सहारे और व्यापक समर्थन की जरूरत है।
डा. सुनील कुमार ने कहा कि समूचे विश्व में पत्रकारिता आज भी संघर्ष और जज्बे का पेशा है। मिशन से प्रोफेशन और फिर ‘बिजनेस’ की बातें बहुत होती रही हैं। ‘मिशन’ से ‘प्रोफेशन’ के दौर में पहुंची पत्रकारिता के लिए व्यावसायिक नैतिकता का महत्व सबसे ऊपर है। इसके बावजूद समूचा परिदृश्य निराशापूर्ण नहीं है। कितना भी प्रोफेशनलिज्म हो, पत्रकारिता का मूलमंत्र या पत्रकारिता की आत्मा ‘मिशन’ ही है और वही रहेगी। कार्पोरेट जगत के आने से हिन्दी पत्रकारों की दशा सुधरी है मगर पत्रकारिता की दिशा अपने मूल से भटक गयी है। आज पत्रकारों को स्वअध्यायी बनना होगा।
डा. रूश्दा आजमी ने कहा कि आज विद्यार्थियों को पत्रकारिता के क्षेत्र में अपडेट रहने की जरूरत है क्योंकि प्रतियोगिता के दौर में हर अखबार नये कलेवर के साथ उतर रहा है। आज हिन्दी पत्रकारिता में तकनीकी के आगे भाषा से भटकना हमारी भूल है। हमें मानक हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए।
विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अब्दुल अहद आजमी एवं अंकित जायसवाल ने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता में अब मिशन नहीं रह गया है। बाजारीकरण के इस युग में मीडिया कार्पोरेट घरानों की हो गयी है इस क्षेत्र में कॅरियर बनाना बहुत ही मुश्किल काम है। हर दिन अंतिम दिन मानकर यहां कार्य करना पड़ता है। 
छात्र मनीष श्रीवास्तव एवं नरेन्द्र गौतम ने कहा कि पं. जुगुल किशोर मिश्र ने 30 मई 1826 को जब पत्रकारिता की शुरूआत की थी तो लोग सोचे नहीं थे कि हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास इतना स्वर्णिम होगा। इन वर्षों में पत्रकारिता में धीरे धीरे बदलाव आता गया। मिशन वाली पत्रकारिता प्रोफेशन में बदली। वैश्वीकरण की हवा ने इसे ऐसा झकझोरा की यह बिजनेस का रूप ले ली। इसके पूर्व जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने केक काटकर हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया।
इस अवसर पर सत्यम श्रीवास्तव, अभिषेक श्रीवास्तव, पंकज प्रजापति, पंकज मिश्रा, रणधीर सिंह, मूलचन्द्र विश्वकर्मा, दिग्विजय मिश्र, दीपक अग्रहरि, शायली मौर्या, शुभांशू जायसवाल, राहुल शुक्ला, सौम्या श्रीवास्तव, एहसान हाशमी सहित शिक्षक, विद्यार्थी मौजूद रहे।

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