बीज शोधन कर ही डाले धान की नर्सरी

काशी विद्यापीठ (वाराणसी ) प्री मानसून की बारिस हो जाने से किसान खरीफ की खेती की तैयारी मे जी जान से जुट गए है। तकनीकी सहायक कृषि रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सुझाव देते हुए बताया कि खेतों मे नमी आ जाने से पहली जुताई गहरी करवाकर धान वाले खेत मे ढेचा की बुआई कर दे ताकि रासायनिक उर्वरकों की बचत करते हुए वेहतर उपज ली जा सके। धान की नर्सरी डालने का उपयुक्त समय चल रहा है। किसान खेतों को तैयार कर बीज शोधन कर ही नर्सरी डाले।
एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई के लिए 30 किग्रा0 सामान्य या 15 किग्रा0 शंकर धान बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी डालने के पूर्व बीज को चार ग्राम स्टेपटोसाईक्लींन दवा 25 किलोग्राम बीज के साथ 45 ली0 पानी मे मिलाकर 24 घण्टे के लिए किसी बड़े बर्तन मे भिगोकर रख दे। 24 घण्टे बाद धान को पानी से निकालकर छायादार स्थान पर रखे तथा सूखे बीज मे 2 ग्राम कारवेण्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज दर के हिसाब से मिलाकर भीगे हुए जूट के बोरे से ढक दे और समय - समय पर बीज को मिलाते रहे व बोरे को पानी से भिगोते रहे ताकि बीज एक साथ अंकुरित हो। अब अंकुरित बीज को तैयार क्यारी मे 3 किग्रा0 बीज प्रति 100 वर्ग मीटर के हिसाब से शाम के समय क्यारी मे 3 - 4 सेमी पानी मे समान रूप से छिटककर नर्सरी डाले। सुबह बचे हुए पानी को बाहर निकालकर शाम को पुनः हल्की सिंचाई करते रहे । 
प्रमुख प्रजातिया -
जनपद के लिए उपयुक्त धान की  प्रजातियो मे स्वर्णा सब 1 , आईआर - 64 , पूसा सुगन्धा - 4 - 5 , नरेंद्र 2008 , पूसा बासमती , 
कृषि तकनीकी सहायक रमेश चंद्र यादव ने बताया कि स्वर्णा सब 1 यदि 15 दिनों तक भी पानी मे बुड़ी रहे तब भी उपज पर कोई नुकसान नही होता है। 150 दिन मे 60 कु0 प्रति हे0 उपज मिल जाती है।
बासमती 1509 कम पानी मे अधिक उपज देती है । 120 दिनों मे 55 कु0 उपज प्राप्त हो जाती है।

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