निराकार प्रभु की सत्ता शाश्वत हैः वशिष्ठ नारायण

 जौनपुर। इंसान जीवन में अनेकों उपलब्धियां हासिल करता है लेकिन यह सुअवसर मिलने के बाद अगर आत्मा का कल्याण नहीं किया तो इस संसार में खाली आया और खाली चला जायेगा। संसार बनता-बिगड़ता रहता है परन्तु इस निराकार प्रभु की सत्ता शाश्वत है जो इस सत्ता के साथ जुड़ जायेगा तो संसार से खाली नहीं जायेगा, बल्कि कुछ प्राप्ति करके जायेगा। इस प्रकार निराकार परमात्मा का बोध ही आत्मा के कल्याण का आधार है। उक्त उद्गार लखमापुर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के प्रांगण में ब्रह्मलीन महात्मा दूधनाथ के श्रद्धांजलि सत्संग समारोह को सम्बोधित करते हुये वशिष्ठ नारायण पाण्डेय ने व्यक्त किया। मंच का संचालन श्याम बिहारी ने किया। इस अवसर पर मेवा लाल, डा. सुरेन्द्र कुमार, राम प्रसाद, बबलू जी, राज बहादुर, पिण्टू जी, विरेन्द्र जी, डा. शंकर दयाल, मयाशंकर, श्याम लाल साहू, राधेश्याम द्विवेदी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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