प्रतिमा विसर्जन घाट का ‘‘कुण्ड’’ बना मछली पालन तालाब

जौनपुर। कहां गया उच्च न्यायालय का आदेश एवं उस आदेश का पालन करवाने वाला जिला प्रशासन? कहां गयी जनपद की समस्त दुर्गा पूजन समितियों की महासमिति? कहां गये महासमिति के पदाधिकारी एवं उससे सम्बन्धित लोग? उपरोक्त लोगों को क्या देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिये बनाया गया कुण्ड नहीं दिख रहा है? शायद नहीं लेकिन कुल मिलाकर न्यायालय सहित जिला व पुलिस प्रशासन के अलावा श्री दुर्गा पूजा महासमिति जौनपुर के लोग केवल हिन्दू धर्म एवं आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
बता दें कि उच्च न्यायालय के आदेश पर नदियों को साफ रखने के उद्देश्य से दुर्गा पूजा सहित अन्य पूजनोपरांत देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जनपद की गोमती सहित अन्य नदियों में विसर्जन करने पर रोक लगा दिया गया है। ऐसे में नदियों के किनारे कुण्ड बनाकर उसमें विसर्जन करने की प्रथा शुरू हो गयी जिसके क्रम में नगर के मोहल्ला नखास स्थित विसर्जन घाट के बगल में भी कुण्ड बनाया गया जहां पिछले दो बार से सभी प्रतिमाओं का विसर्जन भी उसमें हुआ।
बात यहां इसकी नहीं है, बल्कि यह है कि अब उसी कुण्ड में मछली पालने का काम चल रहा है, वह भी बड़े पैमाने पर। क्षेत्रीय लोगों की मानें तो उस कुण्ड में आस्टेªलियाई मांगुर पाला गया है जो महासमिति के ही एक पदाधिकारी द्वारा किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि उक्त मछली प्रतिबंधित है, फिर भी यहां धड़ल्ले से आयात हो रहा है। यह बताना भी उचित होगा कि उस मांगुर को खाना खिलाने के लिये उक्त व्यवसायी (महासमिति का पदाधिकारी) द्वारा चारे के रूप में बकरे, मुर्गे, मछली आदि का मांस उसी कुण्ड (अब मछली पालन तालाब) में डाला जाता है, वह भी सूर्यास्त होने के बाद।
फिलहाल कुल मिलाकर नदी के बगल में खोदवाये गये तालाब को देवी-देवताओं की पूजा करने वाले लोग कुण्ड मानते हैं जहां पूजनोपरांत आस्था के साथ प्रतिमाओं को उसमें विजर्सन करते हैं लेकिन अब उसी कुण्ड में प्रतिबंधित मछली मांगुर पालना एवं उसमें चारे के रूप में मांस का मलबा डालना पूरी तरह से हिन्दू धर्म एवं आस्था के साथ खिलवाड़ है। हंसी इस बात की आ रही है कि यह कार्य स्वयं महासमिति के एक पदाधिकारी द्वारा किया जा रहा है। पिछले कई दिनों से किये जा रहे इस कार्य पर जानकारी की अनभिज्ञता के चलते जिला व पुलिस प्रशासन चुप है, यह बात समझ में आ रही है लेकिन महासमिति चुप है, यह समझ में नहीं आ रहा है, क्योंकि उसी कुण्ड के ठीक बगल में स्थित नवदुर्गा शिव मंदिर पर महासमिति का केन्द्रीय कार्यालय है और प्रत्येक दिन सुबह-शाम श्री दुर्गा पूजा महासमिति से जुड़े लोग वहां आते हैं।

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