भक्तों के वश में रहते हैं अहंकारियों का दमन करने वाले महादेवः वाचस्पति मिश्र
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जौनपुर। ब्रह्माण्ड के सबसे बड़े शल्य चिकित्सक व अंगों का प्रत्यावर्तन के सबसे बड़े प्रवर्तक थे देवों के देव महादेव भगवान शिवशंकर। अहंकार व अहंकारियों का दमन करने वाले और शालीन, सरल व सच्ची भावना वाले भक्तों के वश में होते हैं महादेव। उक्त विचार धर्मापुर विकास खण्ड अन्तर्गत ग्रामसभा कुछमुछ गांव में बीते 14 दिसम्बर से चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के 5वें दिन व्यास गद्दी पर आसीन व्यास श्री वाचस्पति मिश्र जी ने व्यक्त किया। श्री हरि का भजन करने के पश्चात् उन्होंने बताया कि अहंकारियों को दर्शन नहीं देते भगवान, क्योंकि भगवान शालीन व सरल भाव में ही मिलते हैं। कथा विस्तार में बताते हुये व्यास जी ने बताया कि जब भगवान शिव के ससुर प्रजापति दक्ष यज्ञ कर रहे थे तो सबको निमंत्रण दिया परन्तु शिव को नहीं दिये। फिर भी उनकी पत्नी उमा जी यज्ञ कार्यक्रम में चली गयीं। इधर जब शिव जी को उमा का स्थान नहीं दिखा तो उन्होंने वीरभद्र को आदेश दिया कि यज्ञ को विध्वंस कर दो। इस दौरान वीरभद्र ने दक्ष का मस्तष्क भी काट दिया जिसको देख उपस्थित देवी-देवताओं ने भगवान शिव की नाराजगी को दूर कर उन्हें प्रसन्न किया जिसके बाद शिव जी ने बकरे का सिर काटकर प्रजापति दक्ष के धड़ पर जोड़ दिया। इसके बाद दक्ष ने बम-बम का जयघोष करके यज्ञ कार्य सम्पादित किया। आज भी बम-बम के उद्घोष से शिव प्रसन्न होते हैं। इस धार्मिक कार्यक्रम में निरन्तर सहयोग कर रहे वाद्य यंत्र के माध्यम से गोपाल मिश्र, दीपक, राहुल तिवारी, प्रिंस मिश्र संगत में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक श्यामधर मिश्र, राजन मिश्र, श्रीधर मिश्र सहित गांव के तमाम गणमान्य लोग लगे हुये हैं। अन्त में कार्यक्रम संयोजक श्यामधर मिश्र ने बताया कि 22 दिसम्बर दिन मंगलवार को कथा की समाप्ति पर विशाल भण्डारे का आयोजन सुनिश्चित किया गया है जिसमें भक्तों की उपस्थिति प्रार्थनीय है।