गऊ माता में वाश करते हैं 33 कोटि देवताः वाचस्पति मिश्र
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जौनपुर। सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न हुआ जिसका समापन गऊ माता द्वारा यज्ञ मण्डप का सप्तपदी भ्रमण के साथ हुआ। परम पूज्य 1008 पं. भद्राचार्य जी महाराज के शिष्य पं. वाचस्पति मिश्र जी ‘चित्रकूट’ की सानिध्य में आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान के समापन पर विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ जहां हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। जनपद के विकास खण्ड धर्मापुर के कुछमुछ गांव में आयोजित कथा 14 से 22 दिसम्बर तक चला जिसके समापन अवसर पर वाचस्पति जी ने बताया कि गऊ माता में 33 कोटि देवता वाश करते हैं। कथा व यज्ञ भाग का सम्पूर्ण फल तभी संभव है जब व्यक्ति कथा व यज्ञ के बाद गऊओं की सेवा कर उन्हें मिष्ठान या भोजन कराता है। सभी देव तृप्त होकर गऊ माता के माध्यम से शुभाशीष देते हैं जिससे लोग कृतार्थ होते हैं। उन्होंने बताया कि श्री हरि ने स्वयं गऊ को माता की उपाधि दी है। इतना ही नहीं, बाल्यकाल से ही गऊ उनके और वे स्वयं गऊओं के साथ रहे हैं, इसलिये गाय का महत्व हमारे जीवन से मृत्यु तक बहुत है। कथा की समाप्ति के बाद यज्ञ मण्डप के चारों ओर सैकड़ों गायें आ गयीं जिनको तिलक लगाकर पूजा करते हुये यजमानांे ने उन्हें मिष्ठान खिलाया। यह दृश्य कथास्थल से लेकर आस-पास तक के गांवों में चर्चा का विषय बना रहा। कार्यक्रम में जहां यजमान के रूप में विपिन मिश्र व गोपाल रहे, वहीं इस दौरान प्रमुख रूप से उपस्थित लोगों में श्यामधर मिश्र, श्रीधर मिश्र, राजन मिश्र, मिण्टू, विहिप के प्रान्तीय सह मंत्री तरून शुक्ल, जिला कार्याध्यक्ष अजय पाण्डेय, उपाध्यक्ष रमेश मिश्र, जिला मंत्री राकेश श्रीवास्तव आदि लोग रहे।