हार के बाद खुली निद्रा, बोले चुनाव में हुआ धोखा
https://www.shirazehind.com/2015/11/blog-post_12.html
सतहरिया संवाददाता। मुँगराबादशाहपुर क्षेत्र में हुई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की चर्चा अब जोरों से बनी हुई है। वर्तमान राजनीतिक गलियारों में किस्मत का खेल अजीबो गरीब है। चुनावी रणक्षेत्र में अच्छी छवि, बुरी छवि, भुजबल व धन कुबेरांें ने अपने करतब का प्रदर्शन कर चुनावी वैतरणी पार करने के प्रयास किया। अच्छे-बुरे के मुकाबले में जंग हुआ। प्रत्याशियों ने जनता के आगे हमहऊँ हई राजकुमार कहकर गले में जीत की माला डालने का निवेदन किया। जनता को जनप्रतिनिधि चुनने का अवसर मिला। फिर यदि सादगी के आगे कुटिल चाल की जीत हो ही गयी हो तो दोष किसका है? हार का गम मिटाने के लिए वे रजाई के सहारे अपनी नींद पूरा किये। उसके उपरान्त जब दिग्गजों की निद्रा खुली तो उनके हार के कारणों व चुनावी बेला के अनुभव की जानकारी मांगी गयी तो उन्होंने बताया कि उक्त चुनाव में धन बल, बाहुबल व जाति बल का दबदबा दिखायी पड़ा। इन्हीं हथकण्डों के आगे जनता के दोनों हाथ खड़े हो गये। पंचायत चुनाव लोकतंत्र की प्रथम सीढ़ी व प्रारम्भिक अवस्था होती है जिसके बल पर लोकतंत्र के नींव की स्थापना होती है। राजनीतिक योद्धाओं के अनुसार यदि मतदाताओं के कर्मठ, चरित्रवान व ईमानदार प्रत्याशी को चुनने में भूल व विवशता दाखिल कर ही दी है तो आसन्न 2017 के विधान सभा चुनाव में क्या जनता का रुख इससे भिन्न होगा? ऐसा नहीं कि सारे के सारे चुने गये जन प्रतिनिधियों की छवि धूमिल व बेमानी किस्म की है। अच्छे व बुरे चुने गये जन प्रतिनिधियों की अग्नि परीक्षा ब्लाक प्रमुखों तथा जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने के समय निर्धारित होगा। जीते जन प्रतिनिधियों ने बिकाऊ घोड़े की तरह चाबुक किसी और के हाथ में दिया तो जनता के साथ धोखा नही ंतो और क्या है? भाजपा द्वारा समर्थित चारों जिला पंचायत सदस्यों के प्रत्याशियों को जो जीत रूपी नैया की सवारी मानते थे जनता ने उन्हें भी डुबोने से नहीं बख्शा। चर्चित लोग जो कभी से जनाधार वाली पार्टी का टिकट लेकर विधान सभा में पहुँचने का सपना देख रहे हैं उक्त चुनाव का फैसला उनके लिए नसीहत होगा। फिलहान कभी गम कभी खुशी दिख रही है। हारे प्रत्याशियों को कहना है कि हमारे साथ जबदरस्त धोखा हुआ है।