शिव धनुष टूटते ही प्रभु श्रीराम के जयकारों से गुंजा पण्डाल

मुँगराबादशाहपुर । गुड़हाई में चल रहे श्री रामलीला कमेटी के मंच पर छठवें दिन मजे-मजाये कलाकारों द्वारा धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर तथा लक्ष्मण परशुराम संवाद की लीला का रोमांचक ढंग से मंचन किया गया। राजा जनक ने सीता स्वयंवर के लिए देश भर के राजाओं को आमंत्रित किया था। कई राज्यों के राजा पूरी तैयारी के साथ स्वयंवर में पहुंचे हैं। सभी ने शिव धनुष तोड़ने का प्रयास किया लेकिन कोई धनुष को हिला न सका। दूर दराज से सभी योद्धा व राजा अपनी ताकत आजमाकर तथा शिव धनुष को प्रणाम करके अपनी जगह वापस आकर बैठ गये ।तब राजा जनक को निराशा हुई तथा पश्चाताप भरे शब्दों में कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मेरी पुत्री सीता के भाग्य में ब्याह ही नहीं है। शायद पृथ्वी वीरों से खाली है। राजा जनक की बात सुनकर लक्ष्मण क्रोधित होकर उठ गये और कहा कि जिस दिन वीर नहीं होंगे उस दिन पृथ्वी नहीं होगी। अन्त में गुरु विश्वामित्र की आज्ञा लेकर श्रीराम धनुष तोड़ने के लिए धनुष के पास पहुँचते हैं और जैसे ही वे धनुष को उठाकर उसका खण्ड-खण्ड कर देते हैं उसी समय भगवान श्रीराम के जयकारों से पण्डाल गूंज उठता है। धनुष टूटते ही जानकारी होने पर परशुराम पहुंचकर क्रोधित हो उठे। उनके आक्रोश भरे शब्द सुनकर लक्ष्मण उठते हैं। परशुराम तथा लक्ष्मण के बीच काफी देर तक संवाद चलता रहा। माँ सीता द्वारा भगवान श्री राम के गले में माला डालते ही श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पशुपति नाथ मुन्ना व वयोवृद्ध महन्थ संगम लाल गुप्त भगवान की आरती उतारकर लीला प्रारम्भ कराया। डाॅयरेक्टर लाल बहादुर सिंह के निर्देशन में लीला का मंचन हो रहा है। भगवान राम दीपक गुप्ता, लक्ष्मण जी अंजनी गुप्ता माँ सीता शेरू, मोटे राजा राजू गुप्त व परशुराम की भूमिका राकेश ने निभाई। मुख्य रूप से हनुमान दल कमेटी अध्यक्ष राजीव केशरी, राजू गुप्त, आकाश गुप्त, शैलेन्द्र साहू,  और लवकुश मोदनवाल आदि थे।

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