
जौनपुरः राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर में आज हिन्दी विभाग द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें प्रो0 अवधेश प्रधान, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने “युग पुरूष महान कहानीकार मुंशी पे्रमचन्द्र की प्रासंगिकता“ पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। जिसमें प्रो0 प्रधान ने कहा कि हिन्दी को उचाई प्रदान करने का कार्य महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द्र जी ने किया है। सुविधा के अभाव में भी मुंशी प्रेमचन्द्र ने हिन्दी भाषा को प्रभावकारी ने बनाया। आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ मिलकर मुशी जी ने कलम से लड़ी। प्रो0 प्रधान ने कहाकि विदेशी शासकों के अत्याचार को मुंशी जी ने अपने लेखनी के माध्यम से ऐसा पिरोया की देशवासियों में स्वतन्त्रता की चेतना जाग उठी। अपने उपन्यास के माध्यम से मुंशी जी ने समाज में व्याप्त असमानता, अन्याय, और छुआछूत को दूर किया। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि ने डाॅ0 वशिष्ठ अनूप ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द्र जी ने हिन्दी को पाल-पोस बड़ा किया है और उसे एक संस्कार दिया। उनका साहित्य सदी के लिए मार्गदर्शन कर रहा है। मंुशी जी को कथन था कि मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म है। डाॅ0 उर्मिला सिंह ने कहा कि सम्प्रादयिकता, भ्रष्टाचार, कर्जखोरी गरीबी पर आजीवन लिखते रहे। एम0ए0 द्वितीय वर्ष के छात्र सन्तोष यादव ने वर्तमान शिक्षा की व्यवहारिक पक्ष को अपनाने पर बल दिया। इसी क्रम में डाॅ0 प्रकाश उदय, बी0एच0यू0, वाराणसी ने कविता के माध्यम से मुंशी जी के व्यक्त्तिव पर प्रकाश डाल। इस अवसर पर डाॅ0 उर्मिला सिंह, डाॅ0 रागिनी राय, डाॅ0 विजय प्रताप तिवारी, डाॅ0 सन्तोष पाण्डेय, डाॅ0 अतुल श्रीवास्तव, डाॅ0 सुधाकर शुक्ला, स्वयं यादव एवं महाविद्यालय के समस्त छात्र./छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 सुधा सिंह, विभागाध्यक्ष हिन्दी ने किया।