शोसल मीडिया की खबर का असर: मुख्यमंत्री ने लगवाया किसान का पैर
https://www.shirazehind.com/2015/10/blog-post_712.html
जौनपुर। शोसल मीडिया का कद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शोसल मीडिया पर वायरल होने के बाद बांदा के एक किसान का पैर लगवाकर उसे अपने दोनो पैरो पर खड़ा दिया है। दस असल पिछले चालिस वर्षो से अपने एक पैर से हल चलाकर खेती करने की खबर एक शोसल मीडिया न्यूज पोर्टल पर पोस्ट किया गया था। उस पोस्ट को जौनपुर के सपा युवा नेता विकास यादव ने उस पोस्ट की लिंक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेज दिया था। जिसको संज्ञान में लेते हुए शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने उसको कृतिम पैर लगाने का आदेश जारी कर दिया अखिलेश यादव का फरमान मिलते ही स्वास्थ विभाग ने उसे पैर लगा दिया।
इससे पूर्व लखनऊ में अपनी जान की बाजी लगाते हुए कुए में कुदकर गाय की जान बचाने वाले एक मुस्लिम युवक को भी मुख्यमंत्री संज्ञान में लेकर उसे डीएम राजशेखर द्वारा सम्मानित कराया था।
यह थी विकलांग किसान की खबर
बुंदलेखंड का एक किसान पूरे देश के किसानों के लिए एक मिसाल बन चुका है। साहूकारों का कर्ज उतारने और परिवार का पेट पालने के लिए ये किसान पिछले 40 साल से सिर्फ एक पैर के सहारे हल चलाकर खेती कर रहा है। वो कटे हुए दाएं पैर में कमर से लाठी बांधकर खेत की जुताई करता है। किसान के इस दर्द का यूपी सरकार ने भी मजाक उड़ाया। मामला सरकार के संज्ञान में आने के बाद भी अभी तक उसकी कोई मदद नहीं की गई है।
इससे पूर्व लखनऊ में अपनी जान की बाजी लगाते हुए कुए में कुदकर गाय की जान बचाने वाले एक मुस्लिम युवक को भी मुख्यमंत्री संज्ञान में लेकर उसे डीएम राजशेखर द्वारा सम्मानित कराया था।
यह थी विकलांग किसान की खबर
बुंदलेखंड का एक किसान पूरे देश के किसानों के लिए एक मिसाल बन चुका है। साहूकारों का कर्ज उतारने और परिवार का पेट पालने के लिए ये किसान पिछले 40 साल से सिर्फ एक पैर के सहारे हल चलाकर खेती कर रहा है। वो कटे हुए दाएं पैर में कमर से लाठी बांधकर खेत की जुताई करता है। किसान के इस दर्द का यूपी सरकार ने भी मजाक उड़ाया। मामला सरकार के संज्ञान में आने के बाद भी अभी तक उसकी कोई मदद नहीं की गई है।
बांदा जिले के बेबरू गांव में देवराज सिंह यादव नाम का किसान रहता है। उसकी
उम्र 60 साल है। उसके बाद करीब तीन बीघा खेत है। देवराज ने बताया कि करीब
40 साल पहले वो अपना खेत जोत रहे थे, तभी एक बैल ने उन पर हमला कर दिया।
हमले में उनका दायां पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया। इसके बाद डॉक्टरों ने
इलाज के दौरान उसे बताया कि अंदरूनी चोटों के कारण उसका दायां पैर पूरी तरह
सड़ चुका है। उसे जिंदा रखने के लिए उन्हें पैर काटना पड़ेगा।
देवराज ने बताया कि एक पैर कट जाने के बाद भी वो हिम्मत नहीं हारे। परिवार
का पेट पालना और साहूकारों का कर्ज चुकाने जैसी जिम्मेदारियां अधूरी थीं।
ऐसे में उन्होंने जिंदगी को खत्म करने के बजाए उसे नए तरीके से शुरू करने
की ठानी। देवराज ने लाठी को कटे हुए दाएं पैर पर बांधकर खेत में हल जोतना
शुरू कर दिया। उनकी मानें तो इस काम में दर्द बहुत होता है, लेकिन परिवार
का साथ दर्द का अहसास नहीं होने देता।
देवराज ने बताया कि एक पैर कट जाने के बाद भी उन्होंने कभी खुद पर
विकलांगता को हावी नहीं होने दिया। किस्मत को कोसकर घर बैठने के बजाए काम
करने के बारे में सोचा। एक पैर के सहारे वो पिछले 40 साल से लगातार खेतों
में पसीना बहा रहे हैं। इसी तरह काम करके उन्होंने पैसे जुटाए और बेटी
सुनीता की शादी की। वहीं, बेटे को ग्रेजुएशन में एडमिशन दिलाया।