नखास में स्थापित की गयीं नदी को दूषित न करने वाली मूर्तियां

नवीन नव दीप संस्था के कार्यकर्ताओं ने स्वयं बनायी मां की मूर्ति
मुख्यालय से लेकर पूरे जनपद में बना हुआ है कौतूहल का विषय

    जौनपुर। नदी में मूर्ति विसर्जन पर न्यायालय द्वारा दिया गया फैसला एक वर्ष बीतने के बाद भी कौतूहल का विषय बना हुआ है जिसको लेकर जहां वाराणसी सहित अन्य जनपदों के अधिकांश जगहों पर इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर मूर्तियां स्थापित नहीं की गयीं, वहीं कुछ जगह केवल कलश रखकर पूजा-पाठ किया जा रहा है। इसी क्रम में वर्ष 1986 से लगातार पूजन कर रही नवीन नव दीप संस्था नखास द्वारा इस बार मिट्टी की मूर्ति नहीं स्थापित की गयी। मूर्ति को इस रूप में पिरोया गया है कि उसे नदी में विसर्जन करने से जल दूषित नहीं होगी। संस्था के पूर्व अध्यक्ष सूरज निषाद, राजू चैधरी, डा. कमलेश व विकास निषाद ने पिछले एक माह से अथक परिश्रम करके थर्माकोल, फ्लैक्स, मोती, खाने वाले रंग का प्रयोग करके मां दुर्गा, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, भगवान कार्तिकेय व श्रीगणेश की मूर्ति बनायी। उन्हीं मूर्तियों को पण्डाल में स्थापित किया गया जहां हमेशा की तरह पूजा भी हो रही है। उपरोक्त मूर्तियों को देखने के लिये लोगों की काफी भीड़ एकत्रित हो रही है। इस बाबत संस्थाध्यक्ष संजय प्रकाश जायसवाल व महासचिव विजय मौर्य ने संयुक्त रूप से बताया कि संस्था न्यायालय के आदेश का पालन करते हुये शासन-प्रशासन का सहयोग करती है। इसके अलावा नदी को दूषित न करने का संकल्प भी लेती है। ऐसे में नदी को दूषित न करने वाले सामग्रियों का प्रयोग न करके इस बार मूर्ति स्वयं संस्था के पदाधिकारियों ने बनायी है जो नगर सहित जनपद में कौतूहल का विषय बना है।

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