यूपी में कैबिनेट विस्तार , शाहगंज के विधायक ललई यादव बनाये गए राजमंत्री
https://www.shirazehind.com/2015/10/blog-post_462.html?m=0
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव ने शनिवार को कैबिनेट
का विस्तार किया। 21 मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी गई। मंत्री बनने
वालों में सबसे चौंकाने वाला नाम पंजाब के मोगा से बलवंत सिंह रामूवालिया
का है, जो न तो विधायक हैं और न ही एमएलसी। वे मुलायम के दोस्त माने जाते
हैं। वे कभी अकाली दल के नेता रहे हैं।
2017 के चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का चेहरा बदलने की कवायद
शनिवार को 21 मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी। इनमें 10 नए चेहरे
हैं। एक को दोबारा से राज्यमंत्री बनाया गया है। बाकी 10 का प्रमोशन हुआ
है। प्रमोशन का मतलब यह कि जो राज्यमंत्री थे, उन्हें कैबिनेट मंत्री बना
दिया गया और जो राज्यमंत्री थे, उन्हें स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री
बनाया गया। बता दें कि हाल ही में सीएम अखिलेश ने आठ मंत्रियों को बर्खास्त
कर दिया था। कुछ से उनके विभाग छीन लिए गए थे। इसके बाद नए मंत्रियों ने
शपथ ली है। इसे 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का चेहरा बदलने
और छवि सुधारने की कोशिश माना जा रहा है। पद की शपथ लेने के बाद मंत्रियों
ने कहा कि सीएम ने जो जिम्मेदारी उन्हें दी है, वे उसका पूरी निष्ठा के साथ
पालन करेंगे।
कौन हैं बलवंत सिंह रामूवालिया?
>बलवंत सिंह को मुलायम पंजाब से लेकर आए हैं। मुलायम और बलवंत
दोस्त बताए जाते हैं। यूपी में बलवंत सिंह ना तो विधायक हैं, न ही विधान
परिषद के सदस्य। दरअसल, सिखों को जोड़ने के लिए यह कवायद की गई है।
>गाजियाबाद के रहने वाले बलवंत सिंह रामूवालिया पंजाब में अकाली दल
से जुड़े हुए थे। दो बार अकाली दल से सांसद रह चुके हैं। रामूवालिया
केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
> वह अकाली दल के यूपी प्रभारी भी थे। 2011 में बलवंत सिंह ने लोक
भलाई नाम से अपनी पार्टी बनाई थी, लेकिन 2012 में इसका अकाली दल में विलय
कर दिया था।
>सपा ज्वॉइन करने के बाद वे इस पार्टी के बड़े फाइनेंसरों में गिने
जाते हैं। बलवंत की बेटी पंजाब में प्लानिंग बोर्ड की चेयरमैन है।
राष्ट्रगान रोकने पर विवादों में आए राज्यपाल
राजभवन में हुए शपथग्रहण समारोह में मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। कार्यक्रम के दौरान गवर्नर राम नाइक की ओर से राष्ट्रगान को बीच में रोकने
का वाकया भी हुआ। दरअसल, शपथ ग्रहण समारोह के बाद सरदार पटेल की जयंती पर
राष्ट्रीय एकता की शपथ ली जानी थी। इसके लिए सभी को एक पर्चा दिया गया था।
इसी दौरान राष्ट्रगान बजने लगा और गवर्नर ने राष्ट्रगान को बीच में ही
रुकवा दिया, जबकि सीएम उन्हें इशारा करते रहे कि ये गलत हो रहा है।
अखिलेश सरकार में फाइनल हुए मंत्री
कैबिनेट मंत्री
> अरविंद कुमार गोप
> कमाल अख्तर
> विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह
> बलवंत सिंह रामू वालिया (नया चेहरा)
> साहब सिंह सैनी (नया चेहरा)
> कमाल अख्तर
> विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह
> बलवंत सिंह रामू वालिया (नया चेहरा)
> साहब सिंह सैनी (नया चेहरा)
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
> रियाज अहमद
> फरीद महफूज किदवई
> मूल चंद चौहान
> राम सकल गुर्जर
> नितिन अग्रवाल
> यासर शाह
> मदन चौहान
> शादाब फातिमा (नया चेहरा)
> फरीद महफूज किदवई
> मूल चंद चौहान
> राम सकल गुर्जर
> नितिन अग्रवाल
> यासर शाह
> मदन चौहान
> शादाब फातिमा (नया चेहरा)
राज्यमंत्री
> राधे श्याम सिंह (नया चेहरा)
> शैलेंद्र यादव ललई (नया चेहरा)
> ओमकार सिंह यादव (नया चेहरा)
> तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे (विवादों के कारण पहले हटा दिए गए थे, फिर हुए शामिल)
> सुधीर कुमार रावत (नया चेहरा)
> हेमराज वर्मा (नया चेहरा) (शपथ लेने नहीं पहुंचे)
> लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद (नया चेहरा)
> बंशीधर बौद्ध (नया चेहरा)
> शैलेंद्र यादव ललई (नया चेहरा)
> ओमकार सिंह यादव (नया चेहरा)
> तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे (विवादों के कारण पहले हटा दिए गए थे, फिर हुए शामिल)
> सुधीर कुमार रावत (नया चेहरा)
> हेमराज वर्मा (नया चेहरा) (शपथ लेने नहीं पहुंचे)
> लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद (नया चेहरा)
> बंशीधर बौद्ध (नया चेहरा)
क्यों बनाए गए मंत्री?
> अरविंद सिंह गोप: अरविंद सिंह गोप का स्वतंत्र प्रभार से कैबिनेट मंत्री बनना तय माना जा रहा था। बीतों दिनों अरविंद सिंह गोप का पार्टी में कद बढ़ा है। गोप पार्टी ऑफिस में बैठकर लगातार सपा वर्करों से मिल रहे थे। इसका फायदा उनको मिला।
> अरविंद सिंह गोप: अरविंद सिंह गोप का स्वतंत्र प्रभार से कैबिनेट मंत्री बनना तय माना जा रहा था। बीतों दिनों अरविंद सिंह गोप का पार्टी में कद बढ़ा है। गोप पार्टी ऑफिस में बैठकर लगातार सपा वर्करों से मिल रहे थे। इसका फायदा उनको मिला।
> फरीद महफूज: इन्हें अरविंद सिंह गोप का कंपटीटर माना जाता
है। ऐसे में अरविंद सिंह गोप का कद बढ़ने के साथ-साथ फरीद महफूज का कद
बढ़ाना सरकार के लिए जरूरी हो गया था। वह बाराबंकी से एक कद्दावर मुस्लिम
नेता के तौर पर जाने जाते हैं। वह भी गोप की तरह राज्य मंत्री थे। इसी लिए
गोप के साथ ही साथ उनका भी प्रमोशन हुए। सीएम के साथ इनके करीबी रिश्ते
हैं।
> रियाज अहमद: पीलीभीत में हाजी रियाज अहमद सपा के पावर सेंटर बनकर उभरे। राज्य मंत्री बनाकर सरकार ने उन्हें वफादारी का तोहफा दिया है।
> पंडित सिंह: सीएम अखिलेश के नए कैबिनेट में गोंडा के
पंडित सिंह विवादित चेहरा हैं। अभी हाल ही में उनका एक शख्स को धमकी देते
हुए ऑडियो जारी हुआ था। गोंडा के कर्नलगंज से विधायक योगेश प्रताप सिंह को
राज्य मंत्री बेसिक शिक्षा पद से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद पंडित
सिंह का कद बढ़ गया। इसका फायदा उन्हें मिला।
> कमाल अख्तर: अमरोहा के कमाल अख्तर राज्यमंत्री पहले से ही
थे। इनका प्रमोशन काफी दिनों से भी रुका हुआ था। महबूब अली से अब माध्यमिक
शिक्षा विभाग ले लिया है, ऐसे में पश्चिमी यूपी में मुस्लिम वोटरों को
साधने के लिए कमाल अख्तर का कद बढाया गया है। कमाल सीएम अखिलेश की टीम के
माने जाते हैं।
> मूलचंद्र चौहान: मूलचंद्र चौहान पर्यटन राज्य मंत्री थे।
अब उन्हें स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया है। माना जाता है कि मूलचंद्र को
सपा का वफादार होने का फायदा मिला। इनका विवादों से भी कम नाता रहा है और
बिजनौर में मुस्लिमों पर भी अच्छी पकड़ है।
> पवन उर्फ़ तेज़ नारायण पांडेय: पिछली बार कैबिनेट में हुए
फेरबदल पर पवन पांडेय हटा दिए गए थे। अब एक बार फिर से पवन पर सीएम अखिलेश
यादव ने भरोसा जताया है। पवन पांडेय सपा के वे विधायक हैं, जिन्होंने
अयोध्या सीट पहली बार सपा को जिताई। ऐसे में पवन पांडेय को ज्यादा समय तक
नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता था।
> लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद: लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू
निषाद वही विधायक हैं, जिन्होंने गोरखपुर में हुए निषाद आंदोलन में सीएम और
आंदोलनकारियों के बीच मामला शांत करवाया था। ऐसे में निषाद वोटरों को
साधने के मकसद से इन्हें कैबिनेट में लाया गया।
> शादाब फातिमा: शादाब फातिमा मुलायम के भाई और यूपी सरकार
में मंत्री शिवपाल गुट की मानी जाती हैं। अखिलेश की कैबिनेट में अभी तक
अरुणा कोरी ही इकलौती महिला मंत्री थीं। ऐसे में मुस्लिम महिला को मंत्री
बना कर जनता को मैसेज देने की कोशिश है।
> ओंकार सिंह: ओंकार सिंह बदायूं के सहसवान सीट से विधायक
हैं। सीएम अखिलेश इन्हें इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि इन्होने बाहुबली
डीपी यादव को हराया था। उन्होंने एक बार मुलायम सिंह के लिए अपनी सीट भी
छोड़ दी थी, तब मुलायम उनकी सीट से चुनाव लड़े थे।
> नितिन अग्रवाल: नितिन राज्य मंत्री स्वास्थ्य थे। अभी हाल
ही में मुलायम ने नरेश अग्रवाल के साथ बैठक की थी। माना जा रहा है कि उसी
बैठक में नरेश अग्रवाल ने मुलायम से नितिन के लिए कैबिनेट मंत्री का दर्जा
मांगा था, लेकिन उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है।
> यासर शाह: यासर शाह बिजली विभाग के राज्य मंत्री हैं। इधर
बिजली विभाग में काफी काम हुआ है। मुलायम के करीबी और यासर के पिता वकार
अहमद शाह की तबीयत खराब होने की वजह से भी उनकी दावेदारी बढ़ गई थी, क्योंकि
वकार कैबिनेट मंत्री थे, जब वे बीमार हुए थे। उसके बाद भरपाई करने के लिए
यासर शाह को राज्य मंत्री बनाया गया था। अब यासर शाह को राज्य मंत्री
स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है।
> शैलेंद्र उर्फ़ ललई यादव: ललई 2003 में बसपा से अलग होकर
सपा में शामिल हुए थे। तब से ललई यादव मुलायम सिंह यादव के साथ हैं। मुलायम
कार्यकाल में भी यह राज्य मंत्री थे। अब एक बार सीएम अखिलेश यादव ने इन पर
भरोसा जताया है।
>साहब सिंह सैनी: साहब सिंह सैनी को राजेंद्र राणा के स्थान
पर लाया गया है। सहारनपुर में सात विधानसभा सीट में से एक सीट ही सपा के
पास थी। ऐसे में पश्चिमी यूपी में प्रतिनिधित्व के लिए राजेंद्र राणा को
मंत्री बनाया गया था। उनकी मौत के बाद सहारनपुर से एमएलसी साहब सिंह सैनी
को मौका दिया गया है।
>सुधीर कुमार रावत: उन्नाव के सफीपुर से विधायक सुधीर कुमार
रावत को राज्यमंत्री बनाने के पीछे की वजह उनकी पाक-साफ़ इमेज है। सुधीर
कुमार रावत को मंत्री बनाकर अखिलेश ने जहां उन्नाव के दो दागी नेताओं
कुलदीप सेंगर और उदय राज यादव को आइना दिखाया, वहीं, दलित वोटों पर भी अपना
निशाना साधा है।
>बंशीधर बौद्ध: बंशीधर बौद्ध बहराइच के बलहा से विधायक हैं। यह अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। साफ इमेज का फायदा मिला।
>राम सकल गुर्जर: पूर्व में आगरा के समाजवादी पार्टी के
जिलाध्यक्ष रहे चुके राम सकल गुर्जर को मुलायम के सबसे ख़ास और वफादार साथी
के रूप में जाना जाता है। लोगों का का मानना है कि गुर्जर को अपनी वफादारी
और मुलायम के करीबी होने का फायदा मिला है।