शुध्द वातावरण में ईश्वर भी वास करना चाहते है : रमेश पाण्डेय

जौनपुर। मोहम्मद हसन पीजी कालेज के सभागार में संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित संस्कृत साहित्य में पर्यावरणीय चेतना नामक संगोष्ठी विषय पर सेमिनार को सम्बोद्यित करते हुए डा0 लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ डिम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रमेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि यदि पर्यावरण को निकाल दिया जाय तो  संस्कृति साहित्य का कोई मतलब ही नही है।
कुलपति ने कहा कि हमारे पूर्वजो को पता था कि आने वाली पीढ़ी पर्यावरण के प्रति उदासीन हो जायेगी। इसी लिए वेद पुराणो  रामायण महाभारत में पेड़ पौधो नदियों पर्वतो को  धर्म से जोड़कर उसका व्याख्यान किया गया है। पर्यावरण को बचाने और पूरे समाज को साफ सुथरा करने के लिए स्वस्थ मानसिकता की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि शुध्द वातावरण में ईश्वर भी आना चाहते है।
कुलपति ने कहा कि वेद पुराणो और मंत्रो में कोई धर्म जाति की नही बल्की जमीन आसमान पर बसे हर जीव जन्तु के लिए शांति का पाठ किया जाता है। हर व्यक्ति एक जैसा होगा तभी हमारी संस्कृति साहित्य और पर्यावरण बच पायेगा।
श्री पाण्डेय ने कहा कि कुछ छोटी सोच के लोग अपने स्वार्थ के लिए समाज को बाटने का काम कर रहे है।
अंत उन्होने छात्रो को उपदेश देते हुए कहा कि लक्ष्य की प्राप्त करने के लिए स्वस्थ मानसिकता से पढ़ाई करना बहुत जरूरी है क्यो की शिक्षा के बल पर इस दुनियां में सब कुछ जीता जा सकता है। अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ और सुन्दर बनाने में अपना योगदान जरूर करे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता योगी देवनाथ कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्वाचंल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पीसी पातंजलि और साहित्यकार सभाजीत द्विवेदी ने अपने अपने विचार व्यक्त किया।
कार्यक्रम संयोजक एवं कालेज के प्राचार्य डा0 अब्दुल कादिर खान सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र भेट किया। और स्वागत किया। संचालन डा0 अजय सिंह ने किया। 

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