हिन्दी जनमानस की भाषा है
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विवेकानन्द केंद्रीय
पुस्तकालय में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का प्रारम्भ
मानद पुस्तकालयाध्यक्ष डा. मानस पाण्डेय, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. एचसी
पुरोहित एवं डा. अविनाश पाथर्डीकर ने संयुक्त रूप से किया। समारोह में
पुस्तकालयाध्यक्ष डा. मानस पाण्डेय ने कहा कि भाषा संचार का कार्य करती है
और सहज संचार अपनी मातृभाषा में ही संभव है। हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार
में प्रिंट के साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दी जनमानस की भाषा है। भारत में हिन्दी भाषियों की संख्या सबसे अधिक है। आज बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारतीय जनमानस से जुड़ने के लिए हिन्दी का प्रयोग कर रही है। संकायाध्यक्ष प्रबंध डा. एचसी पुरोहित ने हिन्दी के विकास के लिए साहित्यकारों को श्रेय देते हुए उन्हें नमन किया और उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा को रोजी रोटी से जोड़ना होगा। एचआरडी के अध्यक्ष डा. अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि हिन्दी के आज बहुत से ऐसे शब्द है जो प्रयोग से हट गये है। पुनः इस पर विचार कर प्रयोग में लाने की जरूरत है। जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डा. मनोज मिश्र ने कहा कि हिन्दी में व्याकरण के पक्ष का विलोपन हो रहा है। ऐसे में हम हिन्दी भाषियों का दायित्व है कि भाषा व्याकरण को भी साथ-साथ सुधारते रहे। डा. अवध बिहारी सिंह ने हिन्दी के विकास में हिन्दी पत्रकारिता के योगदान की चर्चा की। संचालन डा. विद्युत मल्ल एवं डा. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दी जनमानस की भाषा है। भारत में हिन्दी भाषियों की संख्या सबसे अधिक है। आज बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारतीय जनमानस से जुड़ने के लिए हिन्दी का प्रयोग कर रही है। संकायाध्यक्ष प्रबंध डा. एचसी पुरोहित ने हिन्दी के विकास के लिए साहित्यकारों को श्रेय देते हुए उन्हें नमन किया और उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा को रोजी रोटी से जोड़ना होगा। एचआरडी के अध्यक्ष डा. अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि हिन्दी के आज बहुत से ऐसे शब्द है जो प्रयोग से हट गये है। पुनः इस पर विचार कर प्रयोग में लाने की जरूरत है। जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डा. मनोज मिश्र ने कहा कि हिन्दी में व्याकरण के पक्ष का विलोपन हो रहा है। ऐसे में हम हिन्दी भाषियों का दायित्व है कि भाषा व्याकरण को भी साथ-साथ सुधारते रहे। डा. अवध बिहारी सिंह ने हिन्दी के विकास में हिन्दी पत्रकारिता के योगदान की चर्चा की। संचालन डा. विद्युत मल्ल एवं डा. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।