हमारा देश विभिन्न समाज और भाषा में बटा हुआ है
https://www.shirazehind.com/2015/09/blog-post_434.html
जौनपुर: हिन्दी दिवस पर राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर में हिन्दी भाषा के विकास पर एक संगोष्ठी सम्पन्न हुई। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ0 शिवप्रसाद ओझा ने कहा कि हमारा देश विभिन्न समाज और भाषा में बटा हुआ है। हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी है। अनकेता में एकता के लिए हिन्दी की समृद्धि और विकास आवश्यक है। राष्ट्रीयता को बनाये रखने के लिए हिन्दी राष्ट्रभाषा बनायी गयी है। हिन्दी भाषा सम्पर्क भाषा के रूप में एक सशक्त माध्यम है। डाॅ0 सुधा सिंह, विभागाध्यक्ष हिन्दी ने कहाकि हिन्दी विश्व की तीसरी बड़ी भाषा के रूप में जानी जाती है। यह सार्वधिक सशक्त और समर्थ भाषा है। स्वतन्त्रता आन्दोलन मेें हिन्दी भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिन्दी भाषा की उन्नति करना हमारा पुनीत कर्तव्य है। डाॅ0 मधु पाठक ने कविता के माध्यम से हिन्दी के बढावे पर जोर दिया।
अपनी माटी अपनी भाषा, चिरमानवता की यह आशा।
निज भाषा की उन्नति न रूके करना कुछ अनुसंधान,
सुनो ए अमृत की संतान सुनो।।
डाॅ0 रागिनी राय ने कहा कि हिन्दी हमारे देश में युग युग से विचार विनियम का माध्यम रह है। भारत की संस्कृति हिन्दी में ही सुरक्षित है। अतः इसकी समृद्धि आवश्यक है। डाॅ0 अभय प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र ने कहाकि हिन्दी सम्पूर्ण भारत की सम्पर्क भाषा ही आज की पीढ़ी मिश्रित भाषा का प्रयोग करती है। जिससे हमारी संस्कृति का पराभव हो रहा है। यह चिन्ता का विषय है। डाॅ0 मनोज कुमार वत्स, प्रवक्ता समाजशास्त्र ने कहाकि हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को इसलिए मनाया जाता है कि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा होगी। 14 सितम्बर 1453 से हिन्दी दिवस सम्पूर्ण भारत में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। डाॅ0 सुधाकर शुक्ला, प्रवक्ता पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने कहाकि आधुनिक संचार क्रान्ति और मीडिया के विस्तार ने हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस अवसर पर डाॅ0 विष्णुचन्द्र त्रिपाठी, डाॅ0 माया सिंह, डाॅ0 अनीता सिंह, डाॅ0 श्यामसुन्दर उपाध्याया, डाॅ0 अतुल श्रीवास्तव श्री स्वयं यादव समेत समस्त छात्र/छात्राएं उपस्थित रही।
संगोष्ठी का संचालन डाॅ0 सुधा सिंह ने किया।
अपनी माटी अपनी भाषा, चिरमानवता की यह आशा।
निज भाषा की उन्नति न रूके करना कुछ अनुसंधान,
सुनो ए अमृत की संतान सुनो।।
डाॅ0 रागिनी राय ने कहा कि हिन्दी हमारे देश में युग युग से विचार विनियम का माध्यम रह है। भारत की संस्कृति हिन्दी में ही सुरक्षित है। अतः इसकी समृद्धि आवश्यक है। डाॅ0 अभय प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र ने कहाकि हिन्दी सम्पूर्ण भारत की सम्पर्क भाषा ही आज की पीढ़ी मिश्रित भाषा का प्रयोग करती है। जिससे हमारी संस्कृति का पराभव हो रहा है। यह चिन्ता का विषय है। डाॅ0 मनोज कुमार वत्स, प्रवक्ता समाजशास्त्र ने कहाकि हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को इसलिए मनाया जाता है कि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राष्ट्रभाषा होगी। 14 सितम्बर 1453 से हिन्दी दिवस सम्पूर्ण भारत में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। डाॅ0 सुधाकर शुक्ला, प्रवक्ता पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने कहाकि आधुनिक संचार क्रान्ति और मीडिया के विस्तार ने हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस अवसर पर डाॅ0 विष्णुचन्द्र त्रिपाठी, डाॅ0 माया सिंह, डाॅ0 अनीता सिंह, डाॅ0 श्यामसुन्दर उपाध्याया, डाॅ0 अतुल श्रीवास्तव श्री स्वयं यादव समेत समस्त छात्र/छात्राएं उपस्थित रही।
संगोष्ठी का संचालन डाॅ0 सुधा सिंह ने किया।