युवाओं के लिए विववेकानन्द सदा प्रेरणा के स्रोत : प्रो तिवारी
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जौनपुर।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में शुक्रवार को स्वामी
विवेकानंद के विश्व धर्म सम्मलेन शिकागो में उद्बोधन दिवस के अवसर पर
परिसर के विद्यार्थियों एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक- सेविकाओं
को विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो बी बी तिवारी ने
विवेकानंद के विचार पर आधारित व्यक्तित्व का विकास पुस्तक वितरित की.यह
पुस्तक भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की ओर से
विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई गई है.
इस अवसर पर
प्रो तिवारी ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के समीप स्थित शिकागो
उद्बोधन शिलापट्ट के समक्ष विद्यार्थिओं को समाज के लिए जीने का संकल्प
दिलवाया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी युवाओं के सदा प्रेरणा के स्रोत
रहेंगे।उनके विचारों को आत्मसात कर लक्ष्य प्राप्ति की जा सकती है.शिकागो
सम्मलेन में स्वामी जी के कुछ ही समय के सम्बोधन ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय
पटल पर मजबूती प्रदान की थी.इससे पुरे विश्व में हिंदुस्तान का नाम रोशन
हुआ. विश्वविद्यालय में स्थापित स्वामी जी का यह शिकागो उद्बोधन शिलापट्ट
सदैव युवाओं में ऊर्जा का संचार करता रहेगा।
इसके
पूर्व विद्यार्थिओं ने पद यात्रा कर विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय स्थित
स्वामी जी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। डॉ बी डी शर्मा ने कहा कि
विवेकानंद शिकागो सम्मलेन में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व कर
रहे थे.उनके अमेरिकी भाइयों और बहनों के उद्बोधन करते ही पूरे धर्म स्थल
तालियों की गड़गाहट से गूंज गया. उन्होंने भारत में भी धर्म जाति से हट कर
एक नए समाज की अवधारणा विकसित की.डॉ शर्मा ने स्वामी जी के मूर्ति के समक्ष
11 सितम्बर 1893 के शिकागो उद्बोधन को पढ़ा.
उन्होंने अंत में
उद्बोधन के अंश "साम्प्रदायिकता, हठधर्मिता और उनकी बीभत्स वंशधर
धर्मान्धता इस सुन्दर पृथ्वी पर बहुत समय तक राज्य कर चुकी हैं। वे पृथ्वी
को हिंसा से भरती रही हैं, उसको बारम्बार मानवता के रक्त से नहलाती रही
हैं, सभ्यताओं को विध्वस्त करती और पूरे पूरे देशों को निराशा के गर्त में
डालती रही हैं। यदि ये बीभत्स दानवी न होती, तो मानव समाज आज की अवस्था से
कहीं अधिक उन्नत हो गया होता ।" पर जोर देते हुए समाज के लोगों से इस पर
विचार करने का आग्रह किया। कार्यक्रम के संयोजक प्राध्यापक डॉ राजकुमार
सोनी ने कहा कि अहं का त्याग कर समाज की सेवा के लिए सदैव तैयार रहना
चाहिए।कार्यक्रम का संचालन डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर डॉ
संतोष कुमार, डॉ रवि प्रकाश,डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ सुनील कुमार,रघुनंदन
समेत विश्विद्यालय के विभिन्न संकायों के विद्यार्थी उपस्थित रहे.