हाईकोर्ट ने कैंसल किया एक लाख 75 हजार शिक्षामित्रों का अप्वाइंटमेंट
https://www.shirazehind.com/2015/09/75.html
उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार
शिक्षामित्र टीचरों का अप्वाइंटमेंट हाईकोर्ट ने कैंसल कर दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में शनिवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की डिविजन
बेंच ने यह ऑर्डर दिया। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस
यशवंत वर्मा बेंच के जज थे। इनके अप्वाइंटमेंट का आदेश बीएसए ने साल 2014
में जारी किया था।
शिक्षामित्रों को अप्वाइंट करने को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध रूप से हुई है। जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में एडजस्ट करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की कई दिन तक दलीलें सुनीं।
हाईकोर्ट ने कहा, ''चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलिए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती।'' शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें समायोजित करने का निर्णय लिया है। इसलिए इनके अप्वाइंटमेंट में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों का सिलेक्शन प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की कमी दूर करने के लिए किया गया है।
यूपी में करीब 2 लाख 32 हजार प्राइमरी स्कूल हैं। यहां टीचरों की कमी देखते हुए सरकार ने संविदा पर उन्हें रखने की प्रक्रिया शुरू की। इन्हें शिक्षामित्र नाम दिया गया। प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में इनके रखने की प्रक्रिया शुरू की गई। शिक्षामित्रों को शुरू में हर महीने 3500 रुपए सैलरी दी जाती है।
बेसिक शिक्षा परिषद (बीएसए) ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों के समायोजन के बारे में 30 मई, 2014 में शासनादेश जारी किया था। इसके तहत डिस्टेंस एजुकेशन से बीटीसी ट्रेनिंग हासिल किए हुए कैंडिडेटों की नियुक्ति असिस्टेंट टीचर के पोस्ट पर नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार गाइडलाइन-2011 के तहत हुई।
सरकार के इस फैसले का हजारों बीटीसी/टीईटी पास कैंडिडेटों ने विरोध किया। उन्होंने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों को समायोजित करने के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सूबे की सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। तब से यह मामला चल रहा था।
शिक्षामित्रों को अप्वाइंट करने को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध रूप से हुई है। जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में एडजस्ट करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की कई दिन तक दलीलें सुनीं।
हाईकोर्ट ने कहा, ''चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलिए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती।'' शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें समायोजित करने का निर्णय लिया है। इसलिए इनके अप्वाइंटमेंट में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों का सिलेक्शन प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की कमी दूर करने के लिए किया गया है।
यूपी में करीब 2 लाख 32 हजार प्राइमरी स्कूल हैं। यहां टीचरों की कमी देखते हुए सरकार ने संविदा पर उन्हें रखने की प्रक्रिया शुरू की। इन्हें शिक्षामित्र नाम दिया गया। प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में इनके रखने की प्रक्रिया शुरू की गई। शिक्षामित्रों को शुरू में हर महीने 3500 रुपए सैलरी दी जाती है।
बेसिक शिक्षा परिषद (बीएसए) ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों के समायोजन के बारे में 30 मई, 2014 में शासनादेश जारी किया था। इसके तहत डिस्टेंस एजुकेशन से बीटीसी ट्रेनिंग हासिल किए हुए कैंडिडेटों की नियुक्ति असिस्टेंट टीचर के पोस्ट पर नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार गाइडलाइन-2011 के तहत हुई।
सरकार के इस फैसले का हजारों बीटीसी/टीईटी पास कैंडिडेटों ने विरोध किया। उन्होंने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों को समायोजित करने के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सूबे की सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। तब से यह मामला चल रहा था।