22 सेमी. की ये अनोखी 'नाव' बनेगी बनारस की पहचान

 वाराणसी। काशी नगरी बनारसी साड़ियों, मंदिरों, गंगा, घाटों, संकरी गलियों, खान-पान और प्राचीन संस्कृति की वजह से देश-दुनिया में विख्यात है। इस पहचान की कड़ी को अब बनारसी ढोंगी या डाढ़ा (नाव) आगे बढ़ाएगी। समुद्र शिपयार्ड कोच्ची, वाराणसी संट मोचन फाउंडेशन ने लकड़ी की 22 सेमी. की नाव बनाई है। इसे 'बनारसी नाव अन्नपूर्णेश्वरी' नाम दिया गया है। उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे और दुनिया भर में पहचान दिलाएंगे।
समुद्र शिपयार्ड के अध्यक्ष डॉ. जीवन ने बताया कि बहुत कम ऐसे शहर हैं, जहां नदियों में नाव देखने को मिलती हैं। वहीं, सुबह-ए-बनारस हो या फिर दशाश्वमेध घाट पर शाम की मनोरम आरती, विदेशी पर्यटक नाव में बैठकर इसका भरपूर आनंद लेते हैं। ऐसे में पर्यटन का केंद्र बने वाराणसी और इसकी यादों को तरोताजा रखने के लिए 'बनारसी नाव' को बनाया गया है।
डॉ. जीवन ने जब काशी का दौरा किया तो देखा कि हर पर्यटक लकड़ी की नाव पर बैठकर घाटों की खूबसूरती को देखना चाहता है। ऐसे में उन्होंने बनारसी नाव को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने के लिए 'अन्नपूर्णेश्वरी' नाम से 22 सेमी की 20 नाव बनाई हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन कर इसे विश्व विख्यात कर देंगे।
संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्र ने बताया कि शनिवार को कोच्ची में डॉ. वीएन मिश्रा और समुद्र शिपयार्ड के अध्यक्ष डॉ. जीवन द्वारा बनारसी नाव का विधि-विधान से पूजन किया गया। यह फाउंडेशन गंगा में नाव पर मोबाइल हॉस्पिटल और स्कूल बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।

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