साइकिल का समापन : ये जश्न है या विदाई ?
https://www.shirazehind.com/2015/08/blog-post_612.html
मधुकर तिवारी
पूरे प्रदेश में आज 12 अगस्त को समाजवादी पार्टी साईकिल समापन रैली कर रही है।साइकिल समापन रैली इस शब्द से जेहन में विचार आया की आखिर ये समापन शब्द किस लिए प्रयोग में लाया गया।क्या अब प्रदेश से साईकिल का समापन होने की बात सपाई बंधुओ ने मान लिया।ये जश्न है या विदाई। जश्न को माने तो भी अच्छा ही है।पूरे प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद जश्न मना।अब जश्न किस बात की ?
ये जश्न है सरकार की ताकत के भरोसे पूरे प्रदेश में अरबो की विवादित जमीन को सपा के मंत्रियो विधायको और बलशाली कार्यकर्ताओं ने अपना बना लिया। कागजी हेराफेरी नियमो को धता बता कर अपने रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी दिला दिया। अरबो के ठेके को हथियाने में सरकार की ताकत का इस्तेमाल हुआ।साईकिल ने सपा कार्यकर्ताओं को करोड़ो की कोठियां बनवा दी।बेशकीमती गाड़ियों का मालिक बना दिया।जो मक्खनबाज थे वो लालबत्ती पा गए।साईकिल परस्त अधिकारी भी मलाईदार पदों पर बैठ कर जलवा कायम कर मुलायम बन गए।नाम न लिखा जाय तो भी लोग समझ जायेंगे कि सरकार की ताकत के भरोसे उन नामी समाजवादी नेताओं ने बड़े बड़े औद्योगिक घराने की कथित डील के भरोसे अरबो रूपये की कमीशनखोरी की साईकिल चला दिया।ये जश्न है साईकिल सरकार का।मनाओ जरूर लोहिया जी आत्मा भी स्वर्ग से देख रही है।
अब विदाई की चर्चा हो जाय।त्राहिमाम? बिजली तो इस प्रदेश का रास्ता भूल कर साइकिल पर सवार होकर न जाने किस प्रदेश चली गई।सड़कों की हालत देख जश्न में डूबी ये साईकिल अब बोल रही है कि इन सड़को पर मैं नहीं चल पाऊँगी। पानी के लिए तरस रहे लोग साइकिल से अब पानी लाने के एक गाँव से दूसरे गाँव भटक रहे है।इलाज के लिए तो आदमी अस्पताल पहुँच जाता है।वापसी में ! उसे अस्पताल आने ही नहीं देता। नौकरी की तलाश में लगे युवा तो केवल अपना नाम रिज़ल्ट लिस्ट में तलाश रहे है।प्रदेश में नौकरियों के नाम पर सरकार और बेरोजगार चूहा बिल्ली का खेल खेल रहे है। तो ये समस्याएँ नहीं हैं ये हम प्रदेश के लोगों को साइकिल की सौगात मिली हैं।
निः संदेह ये साईकिल समापन यात्रा सपाइयों के लिए उनके व्यक्तिगत उपलब्धियों का जश्न है।और हम प्रदेश वासियो के लिए इस साइकिल के समापन का जश्न।।
पूरे प्रदेश में आज 12 अगस्त को समाजवादी पार्टी साईकिल समापन रैली कर रही है।साइकिल समापन रैली इस शब्द से जेहन में विचार आया की आखिर ये समापन शब्द किस लिए प्रयोग में लाया गया।क्या अब प्रदेश से साईकिल का समापन होने की बात सपाई बंधुओ ने मान लिया।ये जश्न है या विदाई। जश्न को माने तो भी अच्छा ही है।पूरे प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद जश्न मना।अब जश्न किस बात की ?
ये जश्न है सरकार की ताकत के भरोसे पूरे प्रदेश में अरबो की विवादित जमीन को सपा के मंत्रियो विधायको और बलशाली कार्यकर्ताओं ने अपना बना लिया। कागजी हेराफेरी नियमो को धता बता कर अपने रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी दिला दिया। अरबो के ठेके को हथियाने में सरकार की ताकत का इस्तेमाल हुआ।साईकिल ने सपा कार्यकर्ताओं को करोड़ो की कोठियां बनवा दी।बेशकीमती गाड़ियों का मालिक बना दिया।जो मक्खनबाज थे वो लालबत्ती पा गए।साईकिल परस्त अधिकारी भी मलाईदार पदों पर बैठ कर जलवा कायम कर मुलायम बन गए।नाम न लिखा जाय तो भी लोग समझ जायेंगे कि सरकार की ताकत के भरोसे उन नामी समाजवादी नेताओं ने बड़े बड़े औद्योगिक घराने की कथित डील के भरोसे अरबो रूपये की कमीशनखोरी की साईकिल चला दिया।ये जश्न है साईकिल सरकार का।मनाओ जरूर लोहिया जी आत्मा भी स्वर्ग से देख रही है।
अब विदाई की चर्चा हो जाय।त्राहिमाम? बिजली तो इस प्रदेश का रास्ता भूल कर साइकिल पर सवार होकर न जाने किस प्रदेश चली गई।सड़कों की हालत देख जश्न में डूबी ये साईकिल अब बोल रही है कि इन सड़को पर मैं नहीं चल पाऊँगी। पानी के लिए तरस रहे लोग साइकिल से अब पानी लाने के एक गाँव से दूसरे गाँव भटक रहे है।इलाज के लिए तो आदमी अस्पताल पहुँच जाता है।वापसी में ! उसे अस्पताल आने ही नहीं देता। नौकरी की तलाश में लगे युवा तो केवल अपना नाम रिज़ल्ट लिस्ट में तलाश रहे है।प्रदेश में नौकरियों के नाम पर सरकार और बेरोजगार चूहा बिल्ली का खेल खेल रहे है। तो ये समस्याएँ नहीं हैं ये हम प्रदेश के लोगों को साइकिल की सौगात मिली हैं।
निः संदेह ये साईकिल समापन यात्रा सपाइयों के लिए उनके व्यक्तिगत उपलब्धियों का जश्न है।और हम प्रदेश वासियो के लिए इस साइकिल के समापन का जश्न।।