ये है I.A.S - P.C.S का गांव , अब तक इस गांव की मिट्टी में पैदा हुए है 47 प्रशासनिक अधिकारी
https://www.shirazehind.com/2015/06/ias-pcs-47.html
जौनपुर। नगर से सटे माधोपट्टी गांव को साक्षात मां सरस्वती का आर्शिवाद
प्राप्त है। भारत के नक्से में इस गांव की पहचान अलग है। पूरे देश के हर
रैंक हर प्राफाईल के अधिकारी इस गांव का नाम बड़े ही अदम से लेते है। क्यो
कि इस गांव के मिट्टी ने दिया है 40 से अधिक आलाधिकारी करीब 75 घरो के गांव
या मजरे से 47 आईएएस आईएफएस पीसीएस या पीपीएस अधिकारी निकलना कोई मामूली
बात नही होती। कमाल यह है कि जो लोग किन्ही कारणो से प्रशासनिक सेवाओ में
नही गये वह लोग या तो इसरो में है या भाभा काई मनीला में वल्र्ड बैंक मे
अफसर है तो किसी राज्य का सूचना निदेशक है। यही वजह है जानकार इसे विद्या
की देवी सरस्वती का आर्शिवाद मानते है।
सिरकोनी विकास खण्ड का यह गांव मुल्क की अगूठी में नगीने की तरह जगमगा रहा है। दरअसल यहां प्रख्यात शायर रहे वामिक जौनपुर के पिता मुस्तफा हुसैन सन 1914 पीसीएस और 1952 में इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस की दूसरी रैंक में सलेक्शन क्या हुआ मानो यहां युवा वर्ग को खुद को साबित करने की होड़ लग गयी। आईएएस बनने के बाद इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशो में भारत के राजदूत रहे। इस गांव के चार सगे भाईयो ने आईएएस बनकर जो इतिहास रचा है वह आज भी भारत में कीर्तिमान है। इन चारो सगे भाईयो में सबसे पहले 1955 में आईएएस की परीक्षा में 13वीं रैक प्राप्त करने वाले विनय कुमार सिंह का चयन हुआ। विनय सिंह बिहार के प्रमुख सचिव पद तक पहुंचे। सन् 1964 में उनके दो सगे भाई क्षत्रपाल सिंह व अजय कुमार सिंह एक साथ आईएएस अधिकारी बने। क्षत्रपाल सिंह तमिलनाड् के प्रमुख सचिव रहे। बरहाल विनय सिंह भाई चैथे भाई शशिकांत सिंह 1968 आईएएस अधिकारी बने। इनके परिवार में आईएएस बनने का सिलसिला यही नही थमा।2002 में शशिकांत के पुत्र यशस्वी न केवल आईएएस नही बने बल्की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में 31वीं रैक हासिल हुई। इस कुनबे रिकार्ड आज तक कायम है। इसके अलावा इस गांव की आशा सिंह 1980 श्रीमती उषा सिंह 1982 कुवंर चद्रमौल सिंह 1983 व उनकी पत्नी इन्दू सिंह 1983 अमिताभ पुत्र इन्दू प्रकाश सिंह 1994 आईपीएएस उनकी धर्मपत्नी सरिता सिंह 1994 में आईपीएस भारत की सर्व प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में चयनित होकर इस गांव मान और बढ़ाया। पीसीएस अधिकारियों का तो यहां पूरा जखीरा है। इस गांव के राजमूर्ति सिंह विद्याप्रकाश सिंह प्रेमचंद्र सिंह पीसीएस महेन्द्र प्रताप सिंह जय सिंह प्रवीण सिंह व उनकी पत्नी पारूल सिंह रीतू सिंह अशोक कुमार प्रजापति श्रीप्रकाश सिंह राजीव सिंह संजीव सिंह आनंद सिंह विशाल सिंह व उनके भाई विकास सिंह वेदप्रकाश सिंह नीरज सिंह पीसीएस अधिकारी बने चुके थे अभी हाल ही 2013 के आये परीक्षा परिणाम इस गांव की बहू शिवानी ंिसंह ने पीसीएस परीक्षा पास करके इस कारवां को आगे बढ़ायी है। इस गां ने जहां इतनी तादात में आईएएस पीसीएस अधिकारी दिया है वही अन्य लाल भी पैदा किये है जो अलग अलग क्षेत्रो में ध्रूव तारे की तरह अपनी चमक विखेर रहे है। इस गांव के अन्मजेय सिंह वर्ड बैंक मनीला में डा0 निरू सिंह लालेन्द्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक के रूप भाभा इंस्टीट्यूट तो ज्ञानू मिश्रा इसरो में सेवाएं दे रहे है। यही के रहने वाले देवनाथ सिंह गुजरात में सूचना निदेशक के पद पर तैनात है।
सिरकोनी विकास खण्ड का यह गांव मुल्क की अगूठी में नगीने की तरह जगमगा रहा है। दरअसल यहां प्रख्यात शायर रहे वामिक जौनपुर के पिता मुस्तफा हुसैन सन 1914 पीसीएस और 1952 में इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस की दूसरी रैंक में सलेक्शन क्या हुआ मानो यहां युवा वर्ग को खुद को साबित करने की होड़ लग गयी। आईएएस बनने के बाद इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशो में भारत के राजदूत रहे। इस गांव के चार सगे भाईयो ने आईएएस बनकर जो इतिहास रचा है वह आज भी भारत में कीर्तिमान है। इन चारो सगे भाईयो में सबसे पहले 1955 में आईएएस की परीक्षा में 13वीं रैक प्राप्त करने वाले विनय कुमार सिंह का चयन हुआ। विनय सिंह बिहार के प्रमुख सचिव पद तक पहुंचे। सन् 1964 में उनके दो सगे भाई क्षत्रपाल सिंह व अजय कुमार सिंह एक साथ आईएएस अधिकारी बने। क्षत्रपाल सिंह तमिलनाड् के प्रमुख सचिव रहे। बरहाल विनय सिंह भाई चैथे भाई शशिकांत सिंह 1968 आईएएस अधिकारी बने। इनके परिवार में आईएएस बनने का सिलसिला यही नही थमा।2002 में शशिकांत के पुत्र यशस्वी न केवल आईएएस नही बने बल्की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में 31वीं रैक हासिल हुई। इस कुनबे रिकार्ड आज तक कायम है। इसके अलावा इस गांव की आशा सिंह 1980 श्रीमती उषा सिंह 1982 कुवंर चद्रमौल सिंह 1983 व उनकी पत्नी इन्दू सिंह 1983 अमिताभ पुत्र इन्दू प्रकाश सिंह 1994 आईपीएएस उनकी धर्मपत्नी सरिता सिंह 1994 में आईपीएस भारत की सर्व प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में चयनित होकर इस गांव मान और बढ़ाया। पीसीएस अधिकारियों का तो यहां पूरा जखीरा है। इस गांव के राजमूर्ति सिंह विद्याप्रकाश सिंह प्रेमचंद्र सिंह पीसीएस महेन्द्र प्रताप सिंह जय सिंह प्रवीण सिंह व उनकी पत्नी पारूल सिंह रीतू सिंह अशोक कुमार प्रजापति श्रीप्रकाश सिंह राजीव सिंह संजीव सिंह आनंद सिंह विशाल सिंह व उनके भाई विकास सिंह वेदप्रकाश सिंह नीरज सिंह पीसीएस अधिकारी बने चुके थे अभी हाल ही 2013 के आये परीक्षा परिणाम इस गांव की बहू शिवानी ंिसंह ने पीसीएस परीक्षा पास करके इस कारवां को आगे बढ़ायी है। इस गां ने जहां इतनी तादात में आईएएस पीसीएस अधिकारी दिया है वही अन्य लाल भी पैदा किये है जो अलग अलग क्षेत्रो में ध्रूव तारे की तरह अपनी चमक विखेर रहे है। इस गांव के अन्मजेय सिंह वर्ड बैंक मनीला में डा0 निरू सिंह लालेन्द्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक के रूप भाभा इंस्टीट्यूट तो ज्ञानू मिश्रा इसरो में सेवाएं दे रहे है। यही के रहने वाले देवनाथ सिंह गुजरात में सूचना निदेशक के पद पर तैनात है।
Salutes!
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