पानी प्लाण्ट के खिलाफ चलाये गये अभियान का मामला पकड़ रहा है तूल
https://www.shirazehind.com/2015/06/blog-post_991.html
जिला प्रशासन द्वारा ठोस कदम न उठाये जाने से सशंकित हैं प्लाण्ट मालिक
अब भी सीज हैं 5 प्लाण्ट, विरोध में प्लाण्ट बंद करने का मूड बना रहे हैं संचालक
रमजान पर्व एवं पड़ रही गर्मी के चलते पानी के लिये मच सकता है हाहाकार
जौनपुर। जनपद की सभी नदियों सहित नगर पालिका द्वारा सप्लाई किये जाने वाला पानी पूरी तरह से दूषित है जिसके चलते लोग भूगर्भ पानी के ऊपर आश्रित हो गये लेकिन स्थिति यह है कि भूगर्भ का पानी पीकर भी लोग तरह-तरह की बीमारियांे की चपेट में आ रहे हैं। इन परिस्थितियों में स्वास्थ्य विभाग लोगों को पानी को फिल्टर करके पीने की सलाह दे रहा है लेकिन एक बड़ी समस्या यह है कि छोटे फिल्टर मशीन में 80-90 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है।
ऐसे में कुछ विशेषज्ञों का यह कहना है कि छोटे-छोटे फिल्टर मशीन के बजाय बड़े-बड़े फिल्टर प्लाण्ट का इस्तेमाल किया जाय जिसमें पानी की बर्बादी बहुत कम होती है। इतना ही नहीं, उससे निकलने वाले वेस्टेज पानी को वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये फिर से भूगर्भ में डालना उचित विकल्प है लेकिन यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। इसमें सरकार से एक बड़े फैसले की उम्मीद है, ताकि लोगों को स्वच्छ पानी मुहैया हो और पानी की बर्बादी भी कम से कम हो। मालूम हो कि जिला मुख्यालय पर 50 से अधिक फिल्टर पानी के प्लाण्ट चल रहे हैं जहां से नगरवासियों को स्वच्छ पानी पीने के लिये उपलब्ध हो रहा है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर इन प्लाण्टों के बंद कराने की स्थिति में लोग पुनः दूषित पानी पीने को विवश हो जायेंगे जो तमाम प्रकार की बीमारियों की चपेट में आकर असमय काल के गाल में समा जायेंगे। बिना पूर्व सूचना दिये पानी प्लाण्टों के खिलाफ गत दिवस अभियान चलाकर आधा दर्जन प्लाण्टों को सीज कर दिया गया तथा यह भय अन्य प्लाण्ट संचालकों को भी सता रहा है।
एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम न उठाये जाने से प्लाण्ट संचालक सशंकित हैं। यदि प्रशासन को वास्तव में जनहित में कोई ठोस कदम उठाना है तो पानी को 3 श्रेणी में बांटा जाय जिसके प्रथम श्रेणी में ब्राण्डेड कम्पनियों के पानी को रखा जाय और द्वितीय श्रेणी में नगर के सभी प्लाण्टों को रखा जाय एवं तृतीय श्रेणी में नगर पालिका के पानी को रखा जाय। इसके साथ ही इसका मानक तय करते हुये सभी के संचालकों को अवगत कराया जाय, ताकि उसी आधार पर संचालक प्लाण्ट को सुचारू रूप से चला सकें।
फिलहाल जो कुछ भी हो, जिला प्रशासन द्वारा कुछ पानी के प्लाण्टों के खिलाफ उठाये गये कदम को लेकर सभी संचालक आक्रोशित हैं जो अब सामूहिक रूप से अपना प्लाण्ट बंद करने का मूड बना रहे हैं। शायद जिला प्रशासन को नहीं मालूम हो कि मुसलमान का पर्व रमजान शुरू हो गया जिसके चलते पानी की किल्लत बढ़ने से सभी नागरिक सड़क पर उतर जायेंगे जो जिला प्रशासन के लिये कहीं से भी शुभ संकेत नहीं माना जाना चाहिये।
अब भी सीज हैं 5 प्लाण्ट, विरोध में प्लाण्ट बंद करने का मूड बना रहे हैं संचालक
रमजान पर्व एवं पड़ रही गर्मी के चलते पानी के लिये मच सकता है हाहाकार
जौनपुर। जनपद की सभी नदियों सहित नगर पालिका द्वारा सप्लाई किये जाने वाला पानी पूरी तरह से दूषित है जिसके चलते लोग भूगर्भ पानी के ऊपर आश्रित हो गये लेकिन स्थिति यह है कि भूगर्भ का पानी पीकर भी लोग तरह-तरह की बीमारियांे की चपेट में आ रहे हैं। इन परिस्थितियों में स्वास्थ्य विभाग लोगों को पानी को फिल्टर करके पीने की सलाह दे रहा है लेकिन एक बड़ी समस्या यह है कि छोटे फिल्टर मशीन में 80-90 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है।
ऐसे में कुछ विशेषज्ञों का यह कहना है कि छोटे-छोटे फिल्टर मशीन के बजाय बड़े-बड़े फिल्टर प्लाण्ट का इस्तेमाल किया जाय जिसमें पानी की बर्बादी बहुत कम होती है। इतना ही नहीं, उससे निकलने वाले वेस्टेज पानी को वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये फिर से भूगर्भ में डालना उचित विकल्प है लेकिन यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। इसमें सरकार से एक बड़े फैसले की उम्मीद है, ताकि लोगों को स्वच्छ पानी मुहैया हो और पानी की बर्बादी भी कम से कम हो। मालूम हो कि जिला मुख्यालय पर 50 से अधिक फिल्टर पानी के प्लाण्ट चल रहे हैं जहां से नगरवासियों को स्वच्छ पानी पीने के लिये उपलब्ध हो रहा है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर इन प्लाण्टों के बंद कराने की स्थिति में लोग पुनः दूषित पानी पीने को विवश हो जायेंगे जो तमाम प्रकार की बीमारियों की चपेट में आकर असमय काल के गाल में समा जायेंगे। बिना पूर्व सूचना दिये पानी प्लाण्टों के खिलाफ गत दिवस अभियान चलाकर आधा दर्जन प्लाण्टों को सीज कर दिया गया तथा यह भय अन्य प्लाण्ट संचालकों को भी सता रहा है।
एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम न उठाये जाने से प्लाण्ट संचालक सशंकित हैं। यदि प्रशासन को वास्तव में जनहित में कोई ठोस कदम उठाना है तो पानी को 3 श्रेणी में बांटा जाय जिसके प्रथम श्रेणी में ब्राण्डेड कम्पनियों के पानी को रखा जाय और द्वितीय श्रेणी में नगर के सभी प्लाण्टों को रखा जाय एवं तृतीय श्रेणी में नगर पालिका के पानी को रखा जाय। इसके साथ ही इसका मानक तय करते हुये सभी के संचालकों को अवगत कराया जाय, ताकि उसी आधार पर संचालक प्लाण्ट को सुचारू रूप से चला सकें।
फिलहाल जो कुछ भी हो, जिला प्रशासन द्वारा कुछ पानी के प्लाण्टों के खिलाफ उठाये गये कदम को लेकर सभी संचालक आक्रोशित हैं जो अब सामूहिक रूप से अपना प्लाण्ट बंद करने का मूड बना रहे हैं। शायद जिला प्रशासन को नहीं मालूम हो कि मुसलमान का पर्व रमजान शुरू हो गया जिसके चलते पानी की किल्लत बढ़ने से सभी नागरिक सड़क पर उतर जायेंगे जो जिला प्रशासन के लिये कहीं से भी शुभ संकेत नहीं माना जाना चाहिये।