जमीनों की पैमाइश में धनउगाही
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जौनपुर। तहसीलों के लेखपाल बेलगाम हो गये हैं। इनकी मनमानी से काश्तकारों को परेशान होना पड़ रहा है। थाना और तहसील दिवस पर आये शिकायतों पर अधिकारियों के निर्देश को दर किनार दे रहे हैं। जिन मामले में उन्हे सुविधा मिलता है वहीं पैमाइश करने जाते हैं। जो काश्तकार लेखपालों की जेब गर्म करते है उनकी जमीन का रकबा बढ़ा दिया जाता है जो नहीं देता उसकी जमीन पैमाइश में कम दर्शा दी जाती है। इसकी वहज से मारपीट और संघर्ष होता है। लेखपालों की मनमानी का आलम यह है कि वे उपजिलाधिकारी और तहसीलदार के आदेश को भी नहीं मानते और अपनी मर्जी से काम करना उनकी आदत बन गयी है। अनेक प्रकार के मामलों में रिपोर्ट लगवाने के लिए काश्तकार दौड़ते रहते हैं लेकिन बिना कुछ लिये किसी मामले में रिपोर्ट नहीं लगायी जाती। जिले में जमीनी मामले अधिक है और उनके निस्तारण में वे रूचि नहीं ले रहे हैं। सैकड़ों प्रकरण फाइलों में कैद है। चाहे वरासत का मामला हो अथवा अन्य जरूरी दस्तावेजों पर वे निगाह नहीं डालते। राजस्व अधिकारियों को लेखपालों की मनमानी पर अंकुश लगाने की मांग काश्तकारों ने की है। विवादित मामलों में बिना एडवांस रकम के वे पहुंचते ही नहीं।