जौनपुर। मानसून की जमकर हुई पहली वर्षा से जहां खेत खलिहानों में जहां नमी दिखाई देने लगी वहीं तापमान गिरने से लोगों ने राहत की सांस ली और गर्मी तथा उमस से मुक्ति मिल गयी। वर्षा से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया और जगह जगह हुए जलजमाव ने सफाई व्यवस्था की पोल खोलकर रख दिया। सड़कों और गलियों में आना जाना दुश्वार साबित हो गया। कीचड़ और गन्दगी ने शहर की सुन्दरता को बदरंग कर दिया। गरीबों के घर टपकने लगे और दुश्वारियां पैदा हो गयी है। किसानों ने धान की बेहन डालने की तैयारी कर ली है। मेड़बन्दी और खेतों को दुरूस्त करना शुरू कर दिया है। रविवार को तड़के शुरू हुई हल्की वर्षा रूक रूक कर होती रही और इसके बाद मूसलाधार वर्षा कारूख अख्तियार कर लिया जो पूरे दिन जारी रहा। इसके कारण लोगों को सवेरे के आवश्यक कार्यो में व्यवधान पैदा हुआ। कार्यालय और दुकानें बन्द होने से लोग पंखे से निकलनी वाली कूलर की ठण्डी हवा का आनन्द लेते हुए असलसाये पड़े रहे। उधर बारिश से ग्रामीण क्षेत्रों में चकरोड और पगडण्डियों पर कीचड़ और पानी लगने से आवागमन प्रभावित हो गया। जानवर बाहर नहीं निकाले जा सके। किसानों में वर्षा से प्रसन्नता देखी जा रही है वे मक्का, उरद, धान की बेहन आदि डालने की तैयारियों में मशगूल हो गये है। कई दिनों से भीषण गर्मी और उमस ने लोगों को बेहाल कर दिया था। इस बारिश की वजह से लोगों को राहत मिल गयी है। ठण्डी हवायें चल रही है और अषाढ़ में सावन का नजारा दिखाई दे रहा है। वैसे तो वारिश का मौसम गरीबों के लिए दुःखदायी होता है उनके आशियाने कमजोर और जर्जर होते है। वर्षा का अधिकतर पानी घर में ही गिरता है। मंहगाई के कारण गरीबों को अपने परिवार का खर्च चलाने में ही सारी ताकत लगा देनी पड़ती है। छत और दीवारों को दुरूस्त कराना उनके बस की बात नहीं है। यह दीगर बात है कि पोलिथीन की चादरे मड़हे और टूटी छतों को दुरूस्त करने में इस्तेमाल कर वे अपना गुजारा करते है।