इस अखाड़े में एक साथ अंकुरित होते है अंतराष्ट्रीय पहलवान और सरकारी मुलाज़िम
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जौनपुर। जिले के एक अखाड़े में जहां राष्ट्रीय अतंराष्ट्रीय स्तर के पहलवान
तैयार किये जाते है वही सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की पौध अंकुरित किये
जाते है। इस अखाड़े के अब तक दो दर्जन से अधिक राष्ट्रीय अतंराष्ट्रीय पर
पहलवानों ने इण्डिया का झण्डा बुलंद किया है वही अपने बाहुबल के बल पर दो
पहलवान सीआरपीएफ में सीओ पद हथियाया है और दर्जन लोग रेलवे में सर्विस कर
रहे है तो कई लोग स्पोर्ट हास्टल में कोच हो गये है।
जौनपुर शहर से सटा धर्मापुर गांव गोमती तट पर बसा है। इस गांव को पहलवानो का गांव माना जाता है। इस गांव में दो अखाड़े स्थापित किये गये है। एक अखाड़े में बड़े पहलवान जोर अजमाईश करते है तो दूसरे अखाड़े में नन्हे मुन्ने बच्चो की खेप तैयार की जाती है। आप खुद देखिये झमाझम बारिश में भी ये मासूम बच्चे किस तरह से एक दूसरे को पटखनी देने के लिए जोर आजमाईश कर रहे है। यही बच्चे बड़े होकर देश विदेशो में होने वाली कुश्ती में भाग लेते है। अच्छा प्रर्दशन करने के कारण सेना पुलिस और रेलवे समेत कई सरकारी विभागो में इनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार नौकर मिल जाती है। हैरत की बात यह इस अखाड़े को कोई सरकारी इमदाद भी नही मिलता। इस अखाड़े के पहलवाल शोभनाथ यादव और चंद्रशेखर यादव सीआरपीएफ में डीएसपी पर तैनात है और किशन पहलवाल एसआई है। दलसिंगार यादव लालमन यादव और रामजीत पाल सीआरपीएफ में सिपाही है। लालजी पाल यूपी पुलिस में दारोगा है। आशोक सोनकर संजय यादव कमलेश यादव स्पोर्ट हास्टल में कोच है। जिसमें कमलेश मौजूदा समय में मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई में स्थित अखाड़े में कोच है। इसके अलावा सुरेन्द्र यादव आईटीआई में तो मग्घू यादव ने जिलापंचायत कार्यालय में नौकरी पहलवानी दम पर हासिल किया है। राममूरत यादव रेल कार्यालय अधीक्षक बने तो कमला यादव रेल विभाग में कार्यकरने के साथ ही जिला कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी है। जय सिंह और विजय बहादुर रेल विभाग में टीटी पद पर तैनात है। आज भी इस अखाड़े में प्रतिदिन एक सौ पहलवान जोर आजमाईश करते है। सभी का एक ही उद्देश्य है। राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती लड़कर देश नाम रौशन करना ही है।
इस अखाड़े में केवल पुरूष ही नही नन्ही मुन्नी बच्चियां भी पहलवानी करती है। आचल नामक बच्ची का बस एक ही उद्देश्य है कि वह आगे चलकर देश के लिए गोल्ड मेडल
जौनपुर शहर से सटा धर्मापुर गांव गोमती तट पर बसा है। इस गांव को पहलवानो का गांव माना जाता है। इस गांव में दो अखाड़े स्थापित किये गये है। एक अखाड़े में बड़े पहलवान जोर अजमाईश करते है तो दूसरे अखाड़े में नन्हे मुन्ने बच्चो की खेप तैयार की जाती है। आप खुद देखिये झमाझम बारिश में भी ये मासूम बच्चे किस तरह से एक दूसरे को पटखनी देने के लिए जोर आजमाईश कर रहे है। यही बच्चे बड़े होकर देश विदेशो में होने वाली कुश्ती में भाग लेते है। अच्छा प्रर्दशन करने के कारण सेना पुलिस और रेलवे समेत कई सरकारी विभागो में इनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार नौकर मिल जाती है। हैरत की बात यह इस अखाड़े को कोई सरकारी इमदाद भी नही मिलता। इस अखाड़े के पहलवाल शोभनाथ यादव और चंद्रशेखर यादव सीआरपीएफ में डीएसपी पर तैनात है और किशन पहलवाल एसआई है। दलसिंगार यादव लालमन यादव और रामजीत पाल सीआरपीएफ में सिपाही है। लालजी पाल यूपी पुलिस में दारोगा है। आशोक सोनकर संजय यादव कमलेश यादव स्पोर्ट हास्टल में कोच है। जिसमें कमलेश मौजूदा समय में मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई में स्थित अखाड़े में कोच है। इसके अलावा सुरेन्द्र यादव आईटीआई में तो मग्घू यादव ने जिलापंचायत कार्यालय में नौकरी पहलवानी दम पर हासिल किया है। राममूरत यादव रेल कार्यालय अधीक्षक बने तो कमला यादव रेल विभाग में कार्यकरने के साथ ही जिला कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी है। जय सिंह और विजय बहादुर रेल विभाग में टीटी पद पर तैनात है। आज भी इस अखाड़े में प्रतिदिन एक सौ पहलवान जोर आजमाईश करते है। सभी का एक ही उद्देश्य है। राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती लड़कर देश नाम रौशन करना ही है।
इस अखाड़े में केवल पुरूष ही नही नन्ही मुन्नी बच्चियां भी पहलवानी करती है। आचल नामक बच्ची का बस एक ही उद्देश्य है कि वह आगे चलकर देश के लिए गोल्ड मेडल