भदोहीः दौलत की लालच में भाभी को दिया वनवास!

अंधी भाभी को पांच माह पूर्व लावारिश हालत में छोड़ा
पुलिस आज तक नहीं दिला सकी महिला का अधिकार
भदोही के महिला अल्पावास में दिन गुजार रही महिला
मिर्जापुर की रहने वाली महिला, संपत्ति की लालच में निकाला

भदोही। मानवता और इंसानियत क्या धरती से खत्म हो चली है। संपत्ति और दौलत का मोह इंसान पर इतना हावी हो जाता है कि वह अपने मानवीय कर्तव्यों और पारीवारिक दायित्वों को भूल जाता है। अगर यह सच है तो यह हमारी मानवीयता के लिए कलंक है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर निवासी एक महिला को पति की मौत के बाद देवरों ने संपत्ति की लालच में वनवास दे दिया। महिला दोनों आंखों से अंधी है। एक श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को पालकी में बैठा का तीर्थयात्रा करायी थी। धर्म के प्रतीक लक्ष्मण भीभी मां सीता की पूजा करते थे। लेकिन यहां कलयुगी देवरों ने अपनी भाभी को महिला को लावारिश हालत में पेंशन निकालने के बहाने भदोही जिले के औराई में छोड़ दिया। महिला की उम्र 70 की है। इस स्थिति को लेकर महिला अल्पावास जनक समिति की संचालिका भी पुलिस की लापरवाही से चिंतित हैं। वह आगे कानून लड़ाई की बात सोच रही हैं। जबकि इस मामले में मजिस्टेट का साफ आदेश था कि महिला का पता निकाल उसे पहुंचाया जाय।
भदोही की औराई पुलिस को पांच पूर्व फरवरी में दोनों आंखों से अंधी मिर्जापुर के शहर के वलीअड्डा चेतगंज निवासी नीलम सिंह पत्नी राजकुमार सिंह एक तालाब पर लावारिश हालत में मिली थी। नीलम ने जो कहानी बतायी है अगर वह सच है तो यह हमारी मानवता के लिए शर्मनाक है। नीलम के दावे के अनुसार उसकी उम्र 70 साल है। उसके पति राजकुमार सिंह की बहुत पहले मौत हो चकी है। उसके पति पांच भाई हैं जिसमें उनके पति सबसे बड़े थे। बाकि चार देवर हैं। कुछ दिन बाद उनकी आंख की रोशनी कम हो गयी। परिवार के लोगों ने उन्हें आंख के डाक्टर को दिखाया। लेकिन नीलम का आरोप है कि आंखों उल्टी सीधी दवाईयां डालने से उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गयी। वृद्ध महिला का दावा है कि उसे सरकारी पेंशन भी मिलती थी। देवरों ने पेंशन दिलाने के बहाने मुझे घर से लाकर कड़कड़ाती ठंड में औराई में एक तालाब पर लावारिश हालत में छोड़ दिया। जब काफी समय बाद हमें कोई लेने नहीं आया तो हम रोने लगी। क्योंकि मेरी आंखों में रोशनी नहीं थी। मैं कहां जाती किसके सहारे अपनी जिंदगी काटती। मेरी कहानी सुन किसी ने औराई पुलिस को इसकी जानकारी पहुंचायी। बाद में पुलिस मुझे गोपीगंज के महिला अल्पावास गृह पहुंचा दिया। उसके बाद मुझे कोई लेने नहीं आया। नीलम सिंह का दावा है कि यह सब मेरे देवरों की ओर से किया गया। महिला का दावा है कि पति की मौत के देवरों की नीयत खराब हो गयी। महिला ने बताया कि हमारे पास कोई संतान नहीं है। जिसके कारण सभी की निगाह हमारी संपत्ति पर लग गयी। इसी के कारण मुझे पेंशन दिलाने के बाहाने साथ आए देवर ने एक तालाब पर लावारिश हालत में छोड़ दिया। महिला के साथ हुए इस शर्मनाक कहानी से अल्पावास गृह की समस्या बढ़ गयी है। महिला अल्पावास गृह की संचालिका का दावा है कि उपजिलाधिकारी ने पुलिस को महिला के परिजनों का पता लगाने का आदेश दिया था। इस मामले में मजिस्टेट की अदालत ने रिपोर्ट सौंपने का भी आदेश दिया था। लेकिन आज तक पुलिस कोई पहल नहीं की। अगर पुलिस इस पर कार्रवाई की होती तो महिला को अपना अधिकार मिल जाता वहीं अमानवीयता करने वाले परिजनों को सजा भी मिलती। लेकिन इस मामले में पुलिस की भूमिका बेहद संवेदनशील नहीं है। समिति की संचालिका का दावा है कि महिला की उम्र अधिक हो चली है। अगर इनकी मौत हो गयी तो इसका कौन जिम्मेदार होगा। समिति आगे की कानूनी लड़ाई को लेकर विचार कर रही है।


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