गुण्डागर्दी से करंते हैं जमीनों पर कब्जा
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जौनपुर। जिले में इस समय जमीनों पर अवैध कब्जा के प्रकरण अप्रत्याशित रूप से बढ़ गये हैं और इनमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध बतायी जाती है। अधिक हो हल्ला और संघर्ष होने की प्रबल संभावना को देखते हुए कब्जा रोक दिया जाता है। माननीयों से लेकर एक जाति विशेष के लोग इस कब्जा अभियान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। थानों पर रकम दो और जमीन हथियाओं अभियान पर प्रशासन यदि गंभीरता से कार्यवाही करने के लिए सख्त कदम नहीं उठाता तो खून खराबे की बड़ी घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता। लोगों का कहना है कि सपा शासनकाल में दंबग गरीब और निरीह लोगों को बर्बाद करने पर तुले हुए है। सत्ता की हनक ने प्रशासन को पंगु बना दिया है और वह पैमाइश का आदेश देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ले रहा है। जिले के अधिकाशं थाना क्षेत्रों में बेशकीती जमीनों के अवैध कब्जे में सत्ताधारी दल के नेताओं का इशारा रहता है। थानों से सेटिंग कर यह खेल खुलेआम चल रहा है। प्रशासन मूक दर्शक बना रहता है। जब मामला विस्फोटक के करीब पहुंचता है तो पुलिस व प्रशासन के अधिकारी अपना दखल देते हैं। कई मामलांे में काबीना मंत्री तक पर अरोप लगाये गये हैं। विधायक और सपा के नेताओं के इशारे पर उनके लोग करोड़ों की जमीनों पर अपना झण्डा गाड़ कर विरोध करने वालों को सदा के लिए चुप रहने के लिए भी धमका रहे है। अनेक लोग धमकी से शान्त रहना ही मुनासिब समझ रहे है लेकिन कुछ मामले इधर विशेषकर उभर कर सामने आ रहे है। सभी मामलों में प्रशासन जांच और पैमाइश कराने की बात करता है। जमीनों को कब्जा कराने में राजस्व कर्मियों की भूमिका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। फर्जी बैनामा, फर्जी खतौनी के सहारे अपने पक्ष को मजबूत करने की कवायद के चलते गरीबों के आंखों के आगे अंधेरा छा जा रहा है। राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी का खेल और गुण्डागर्दी ने निसम कानून को किरारे कर दिया है।