भदोहीः किसानों को रुलाएगी यूरिया और डीएपी की कमी!
https://www.shirazehind.com/2015/06/blog-post_334.html
अधिकारियों का दावा पर्याप्त हैं स्टाक
खरीफ के लिए हो सकती है किल्लत
भदोही। किसानों को हर समय व्यवस्था की मार झेलनी पड़ती है। सरकारें किसानों की चाहे जितनी हम दर्द बने लेकिन उनकी समस्याएं कम होने वाली नहीं है। अभी तक जिले के किसानों को बेमौसम बारिश के कारण बर्बाद हुई गेहूं की फसल का पर्याप्त मुवावजा नहीं मिल सका है। जबकि धान की रापोई का सीजन आ गया है। किसानों के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। रबी की बुआई के समय यूरिया और डीएम की किल्लत आम होती है। यह समस्या खरीफ के मौसम में भी देखी जाती है। हलांकि सहकारिता विभाग के अधिकारियों का दावा है कि खरीफ की फसलों के लिए यूरिया और डीएपी के साथ सभी उर्वरकों का स्टाक पर्याप्त है। किसानों को कोई परेशानी नहीं उठानी पडे़गी। लेकिन देखा गया है कि समितियों पर ताला लटका रहता है और किसान खुले बाजार से खाद बीज लेता है। यहीं होता है व्यस्था की कथनी और करनी का फासला।
सहकारिता निबंधक रमेश गुप्त का दावा है कि जिले में किसानों को उर्वरकों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा है कि हमारे पास उर्वरकों का पर्याप्त और प्रचुर मात्रा में स्टाक है। गुप्त ने बताया कि जिले को खरीफ फसलों के लिए 4946 मीटिक टन यूरिया का आवंटन है। जबकि हमारे पास 3680 मीटिक टन यूरिया का स्टाक मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर समितियों पर और अधिक मात्रा में यूरिया और दूसरे उर्वरकों का स्टाक भेजा जाएगा। जबकि डीएपी के बारे में उन्होंने बताया कि इसका भी प्रचुर मात्रा में स्टाक मौजूद है। डीएपी का स्टाक 3500 मीटिक टन हैं। जबकि इसकी उपलब्धता आधे से कम है। लेकिन डीएपी की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 1376 मीटिक टन डीएपी मौजूद है। उन्होंने कहा कि किसानों को चिंता करने की बात नहीं है। उन्हें बेफ्रिक होकर अपनी फसलों की रोपाई करनी चाहिए। उर्वरकों की चिंता करने की जरुरत नहीं हैं। विभाग का दावा चाहे जो अब परीक्षण का वक्त आ गया है। अधिकांश समितियों पर घोटालों के चलते तालाबंदी है। अब यह देखना है कि विभाग इन स्थितियों से कैसे निपटेगा।
खरीफ के लिए हो सकती है किल्लत
भदोही। किसानों को हर समय व्यवस्था की मार झेलनी पड़ती है। सरकारें किसानों की चाहे जितनी हम दर्द बने लेकिन उनकी समस्याएं कम होने वाली नहीं है। अभी तक जिले के किसानों को बेमौसम बारिश के कारण बर्बाद हुई गेहूं की फसल का पर्याप्त मुवावजा नहीं मिल सका है। जबकि धान की रापोई का सीजन आ गया है। किसानों के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। रबी की बुआई के समय यूरिया और डीएम की किल्लत आम होती है। यह समस्या खरीफ के मौसम में भी देखी जाती है। हलांकि सहकारिता विभाग के अधिकारियों का दावा है कि खरीफ की फसलों के लिए यूरिया और डीएपी के साथ सभी उर्वरकों का स्टाक पर्याप्त है। किसानों को कोई परेशानी नहीं उठानी पडे़गी। लेकिन देखा गया है कि समितियों पर ताला लटका रहता है और किसान खुले बाजार से खाद बीज लेता है। यहीं होता है व्यस्था की कथनी और करनी का फासला।
सहकारिता निबंधक रमेश गुप्त का दावा है कि जिले में किसानों को उर्वरकों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा है कि हमारे पास उर्वरकों का पर्याप्त और प्रचुर मात्रा में स्टाक है। गुप्त ने बताया कि जिले को खरीफ फसलों के लिए 4946 मीटिक टन यूरिया का आवंटन है। जबकि हमारे पास 3680 मीटिक टन यूरिया का स्टाक मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर समितियों पर और अधिक मात्रा में यूरिया और दूसरे उर्वरकों का स्टाक भेजा जाएगा। जबकि डीएपी के बारे में उन्होंने बताया कि इसका भी प्रचुर मात्रा में स्टाक मौजूद है। डीएपी का स्टाक 3500 मीटिक टन हैं। जबकि इसकी उपलब्धता आधे से कम है। लेकिन डीएपी की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 1376 मीटिक टन डीएपी मौजूद है। उन्होंने कहा कि किसानों को चिंता करने की बात नहीं है। उन्हें बेफ्रिक होकर अपनी फसलों की रोपाई करनी चाहिए। उर्वरकों की चिंता करने की जरुरत नहीं हैं। विभाग का दावा चाहे जो अब परीक्षण का वक्त आ गया है। अधिकांश समितियों पर घोटालों के चलते तालाबंदी है। अब यह देखना है कि विभाग इन स्थितियों से कैसे निपटेगा।