ग़लतियों से दूर रखने का महीना रमजान
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जौनपुर । रमज़ान का पवित्र महीना पवित्रता और हृदय को पापों व ग़लतियों से दूर रखने का महीना है । ताकि मनुष्य स्वच्छ व पवित्र मन के साथ अपने पालनहार की सेवा में उपस्थित हो सके। पैग़म्बरे इस्लाम कहते हैं रमज़ान वह महीना है जिसके रोज़ों को ईश्वर ने तुम पर अनिवार्य किया है और जो भी उसके रोज़ों को ईश्वरीय दायित्व समझ कर रखेगा उसके पाप माफ़ कर दिये जायेंगे और वह व्यक्ति उस दिन की भांति हो जायेगा जिस दिन अपनी मां के पेट से पैदा हुआ है । उन्होंने कहा की पवित्र रमज़ान महीना और उसमें रोज़ा रखने वालों का महत्व ईश्वर के निकट बहुत अधिक है। इस प्रकार से कि ईश्वर ने कुछ फरिश्तों को यह कार्य सौंपा है कि वे इस महीने में रोज़ा रखने वालों के लिए दुआ और प्रायश्चित करें। इस संबंध में हज़रत इमाम मोहम्मद बाकि़र अलैहिस्सलाम कहते हैं निःसंदेह ईश्वर के पास कुछ फरिश्ते हैं जो पूरे रमज़ान महीने में रोज़ा रखने वालों के लिए प्रायश्चित करते हैं। उन्होंने कहा की रमज़ान प्रायश्चित का महीना, दया का महीना, क़ुरआन का महीना, विभूति का महीना, धैर्य का महीना, आजीविका का महीना, दान का महीना पवित्रता का महीना और क़ुरआन पढ़ने का महीना है । रमज़ान का अर्थ पत्थर पर सूरज का प्रचंड गर्मी के साथ चमकना है। रमज़ान महीने के लिए इस प्रकार के शब्द का चयन विशेष सूक्ष्मता का परिचायक है। दूसरे शब्दों में महान ईश्वर की दया के सूरज की छत्रछाया में मनुष्य का परिवर्तित हो जाना है ताकि वह इस महीने में अपनी आंतरिक इच्छाओं का मुक़ाबला कर सके। रमज़ान का पवित्र महीना आंतरिक भूख -प्यास के मुक़ाबले में धैर्य व प्रतिरोध का महीना है। इसी वजह से पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा है कि रमज़ान का महीना पापों को जला देता है और उन्हें भस्म कर देता है ।