रद्दी के भाव बेच दी जाती है बहुमूल्य किताबे, अभिभावकों की काटी जाती है जेब

जौनपुर। अमेरिका सबसे धनी देश है, वहां के स्कूल साल के शुरुआत में बच्चों को किताबें इशू करते हैं और साल के अंत में उनसे जमा करा लेते है ताकि दुसरे बच्चों को उन किताबों को पढने का मौका मिले. भारत गरीब देश है, पर यहाँ हर साल पुराने किताबों को रददी के भाव बेच दिया जाता है और नए किताबों को ख़रीदा जाता है, या यूँ कहें की अभिभावकों को नई किताब खरीदने को विवश किया जाता है। करोड़ो रुपयों की बर्बादी लाखों पेड़ की कटाई  फिर पर्यावरण को बचाने की सतरंगी मुहीम फिर करोड़ों रूपये की लुट, । ये हमारे शिक्षा के मंदिर और और उसे संचालित करने वाले द्वारा हो रहा है।  सत्ता तो बदल गयी पर व्यवस्था नही बदली आइये मानव संसाधन विभाग को जरा नींद से जगाया जाये। 

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