
जौनपुर। नया शिक्षण सत्र शुरु होते ही प्राइवेट स्कूलों में दुकानें सज गई हैं। कमीशन के चक्कर में जहां हर साल किताबें बदल दी जाती हैं, वहीं शिक्षा का अधिकार अधिनियम को धता बताते हुए संचालक तरह-तरह से अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं। अप्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा शिक्षा की कमान संभालने के कारण गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू कर सस्ती व सर्व सुलभ शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन इसका लाभ अभिभावकों को नहीं मिल पा रहा है। विद्यालय संचालक अलग-अलग तरीके से उनका शोषण कर रहे हैं। अधिकांश विद्यालय जहां बिना मान्यता के चल रहे हैं, वहीं मानक को दरकिनार कर मान्यता लेने वाले स्कूलों में शुल्क, टाई बेल्ट, कापी-किताब, ड्रेस आदि के नाम पर शोषण किया जा रहा है। इतना ही नहीं महंगाई का हवाला देते हुए वाहन का शुल्क भी मनमाना बढ़ा दिया गया है।
प्राइवेट विद्यालय संचालक एनसीआरटी की किताबों की जगह उन प्रकाशकों की किताबों का चयन करते हैं जिसमें अच्छी-खासी कमाई हो। अधिक से अधिक कमीशन की लालच में पाठ्य सामग्री व कागज की गुणवत्ता भी नहीं देखते। उनके द्वारा किताबों का बदलाव न किया जाता तो अभिभावक मांग कर भी काम चला लेते।