वर्षा से फसलों का सत्यानाश, कटाई मड़ाई ठप
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जौनपुर। अन्ततः मौसम की बदमिजाजी ने फसलों का सत्यानाश कर दिया जिससे किसानों के आंख में आंसू आ गये। कटी हुई रवि की फसल खेतों में भीग गयी और मड़ाई का कार्य बन्द हो गया। किसानों ने कहा कि प्रकृति जब उनके मुंह का कौर छीन रही है तो कौन बचा सकता है। कई दिनों से आसमान पर बादल गश्त कर रहे थे जिससे किसानों का कलेजा बैठा जा रहा था और रविवार को बरसात शुरू हो गयी। अनेक किसान गेहू की कटाई कर रहे थे उन्हे कार्य रोक देना पड़ा । जबकि बड़ी संख्या में किसान थ्रेसर व कम्बाइन मशीन से मड़ाई कर रहे थे सब ठप्प पड़ गया। दाना भूसा भी भीग गया। खेत खलिहान तर हो गये और किसानों में अफरातफरी मच गयी। बेमौसम की बारिश व आंधी ने फसलों का भारी नुकसान पहले किया था और अब जो कुछ बचा था वह भी बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गया। नगर में जगह जगह जलजमाव से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। ज्ञात हो कि प्रकृति की अनियमितता और अग्निकाण्ड की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए किसान फसलों की कटाई और ढुवाई में किसान दिन रात एक कर रहे थे। तैयार फसलों को वे अति शीघ्र मड़ाई करके अपने घरों में सुरक्षित रखना चाहते हैं। इसक लिए वे मजदूर लगाकर काम समेट रहे थे। मनरेगा के कारण मजदूरों का मिलना मुश्किल साबित हो रहा था जो मजदूर मिल रहे थे वे मनमाना मजदूरी मंाग रहे थे। खून पसीने की कमाई के किसान सुरक्षित रखने के लिए उतावले हैं। उनका कहना है कि गांवों में बिजली के तार ढीले और जर्जर हैं। प्रतिदिन खेतों में खड़ी फसलें आग की भेट चढ़ रही है। हवा के कारण सोने से भरा खेत राख में बदल जा रहा है। इस समय कटाई जोरों पर है। मजदूर मुश्किल से मिल रहे है। वे सवेरे सात बजे से 12 बज तक और अपरान्ह तीन से 6 बजे तक खेतों में काम कर रह है। किसान अपने सभी काम छोड़कर खेतों में जुटे हुए हैं। खलिहान साफ कर गोबर पानी से चिकने चिकने बनाये जा रहे थे। कटाई और ढुलाई में बच्चे और किशोर भी अपने माता पिता का हाथ बंटा रहे थे लेकिन वर्षा से गांवा में सियापा छा गया।