लावारिश व असहायों की सेवा करने से नहीं चूकती है असहाय सहायता समिति
https://www.shirazehind.com/2015/03/blog-post_894.html
अस्पताल में भर्ती कराने के साथ दवा, खाना आदि भी उपलब्ध कराती है समिति
जौनपुर। वैसे तो जनपद में अधिसंख्य लोग समाजसेवा करने में जुटे हुये हैं लेकिन लावारिश, असहाय, मूकबधिर, घायल सहित मृतकों की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य माना जाता है। शायद इसी के चलते जौनपुर से प्रकाशित हिन्दी व उर्दू दैनिक समाचार पत्र के संस्थापक कैलाशनाथ असहाय सहायता समिति नामक संस्था का गठन करके उपरोक्त जैसे लोगों की सेवा करने में जुट गये हैं। संस्था के बैनर तले ऐसे लोगों की सेवा करने में उनके साथ कई अन्य लोग भी जुटे हुये हैं जिनको अलग-अलग जगह की जिम्मेदारी दी गयी है जो अपनी जिम्मेदारी का भली-भांति निर्वहन कर रहे हैं। देखा जाता है कि लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने के अलावा यह समिति घायलावस्था में लावारिश कहीं पड़े लोगों को उठाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराती है जो दवा, उपचार आदि के साथ उनके भोजन की व्यवस्था करती है तथा पता-ठिकाना मिलने पर उनके घर तक पहुंचाने का कार्य भी करती है। इस समय जिला अस्पाल में भर्ती लगभग 60 वर्षीया एक वृद्धा जो बोलने में असमर्थ है, का उपचार इमरजेंसी के बेड नम्बर 21 पर चल रहा है। आगे-पीछे किसी के न होने से लाचार वृद्धा जिस दिन से अस्पताल में भर्ती है, उसकी सारी जिम्मेदारी असहाय सहायता समिति उठायी हुई है। इस संदर्भ में संस्थाध्यक्ष कैलाशनाथ ने बताया कि लगभग ढाई माह तक सेवा आदि से स्वस्थ हुये लगभग 40 वर्षीय वीरेन्द्र को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी है। उपचार के दौरान काटे गये उसके दाहिने पैर के सहारे के लिये समिति ने बैसाखी भी उपलब्ध करायी है। इसी तरह अन्य सेवा कार्य करने हेतु असहाय सहायता समिति तत्पर रहती है।
जौनपुर। वैसे तो जनपद में अधिसंख्य लोग समाजसेवा करने में जुटे हुये हैं लेकिन लावारिश, असहाय, मूकबधिर, घायल सहित मृतकों की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य माना जाता है। शायद इसी के चलते जौनपुर से प्रकाशित हिन्दी व उर्दू दैनिक समाचार पत्र के संस्थापक कैलाशनाथ असहाय सहायता समिति नामक संस्था का गठन करके उपरोक्त जैसे लोगों की सेवा करने में जुट गये हैं। संस्था के बैनर तले ऐसे लोगों की सेवा करने में उनके साथ कई अन्य लोग भी जुटे हुये हैं जिनको अलग-अलग जगह की जिम्मेदारी दी गयी है जो अपनी जिम्मेदारी का भली-भांति निर्वहन कर रहे हैं। देखा जाता है कि लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करने के अलावा यह समिति घायलावस्था में लावारिश कहीं पड़े लोगों को उठाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराती है जो दवा, उपचार आदि के साथ उनके भोजन की व्यवस्था करती है तथा पता-ठिकाना मिलने पर उनके घर तक पहुंचाने का कार्य भी करती है। इस समय जिला अस्पाल में भर्ती लगभग 60 वर्षीया एक वृद्धा जो बोलने में असमर्थ है, का उपचार इमरजेंसी के बेड नम्बर 21 पर चल रहा है। आगे-पीछे किसी के न होने से लाचार वृद्धा जिस दिन से अस्पताल में भर्ती है, उसकी सारी जिम्मेदारी असहाय सहायता समिति उठायी हुई है। इस संदर्भ में संस्थाध्यक्ष कैलाशनाथ ने बताया कि लगभग ढाई माह तक सेवा आदि से स्वस्थ हुये लगभग 40 वर्षीय वीरेन्द्र को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी है। उपचार के दौरान काटे गये उसके दाहिने पैर के सहारे के लिये समिति ने बैसाखी भी उपलब्ध करायी है। इसी तरह अन्य सेवा कार्य करने हेतु असहाय सहायता समिति तत्पर रहती है।