मौसम के बदले मिजाज ने बढ़ायी किसानों की चिंता
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भदोही। मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। जिसके चलते किसानों की समस्या बढ़ गयी है। तापमान में गिरावट आयी है। लौटती ठंड वापस आ गयी है। हवाओं और बारिश के चलते फसलों का नुकसान हुआ है। दलहनी और तिलहनी फसलों के लिए यह बारिश अभिशाप बनी है। ओले पड़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
फसलों के लिए इस वर्ष मौसम की तुनक मिजाजी भारी तबाही लेकर आयी है। 15 दिन पूर्व भारी बारिश और तेज हवाओं के चलते जिले के किसानों को भारी छति उठानी पड़ी थी। गेहूं की फसलें खेत में जमीन पकड़ ली। जिससे फसलों के उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ा हैं। किसानों का मानना है कि बारिश के कारण गेहूं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा। वहीं आलू की फसलों पर भी इसका व्यापक असर दिखा था। किसानों की विचार में इस बारिश से सरसों, मटर की फसलों को जहां भारी नुकसान होगा। वहीं आलू पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। सरसों काली हो जाएंगी। खराब होने का भी डर हैं। उधर चैत में यह बारिश सावन का एहसास करा रही है। किसानों का मानना है कि मौसम ने जो रुख अख्तियार किया है उससे ओला पड़ सकता है। अगर ओला वृष्टि हुई तो किसानों की उम्म्मीदों पर ओला पड़ जाएगा। किसान मौसम को लेकर बेहद चिंचित हैं।
फसलों के लिए इस वर्ष मौसम की तुनक मिजाजी भारी तबाही लेकर आयी है। 15 दिन पूर्व भारी बारिश और तेज हवाओं के चलते जिले के किसानों को भारी छति उठानी पड़ी थी। गेहूं की फसलें खेत में जमीन पकड़ ली। जिससे फसलों के उत्पादन पर भारी प्रभाव पड़ा हैं। किसानों का मानना है कि बारिश के कारण गेहूं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा। वहीं आलू की फसलों पर भी इसका व्यापक असर दिखा था। किसानों की विचार में इस बारिश से सरसों, मटर की फसलों को जहां भारी नुकसान होगा। वहीं आलू पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। सरसों काली हो जाएंगी। खराब होने का भी डर हैं। उधर चैत में यह बारिश सावन का एहसास करा रही है। किसानों का मानना है कि मौसम ने जो रुख अख्तियार किया है उससे ओला पड़ सकता है। अगर ओला वृष्टि हुई तो किसानों की उम्म्मीदों पर ओला पड़ जाएगा। किसान मौसम को लेकर बेहद चिंचित हैं।