राजनीतिक उलझन बना ‘कामायनी एक्सप्रेस‘ का ठहराव!

सुरियावां रेलवे स्टेशन पर ठहराव की है मांग
पंचवी बार 30 मार्च को आमरण अनशन की घोषणा
राजनीति का मसला बन गया है रेलगाड़ी का ठहराव

भदोही। सुरियावां रेलवे स्टेशन पर वाराणसी से कुर्ला तक का सफर तय करने वाली 11071-72 अप-डाउन कामायनी एक्सप्रेस का जिले के सुरियावां रेलवे स्टेशन पर ठहराव का मसला राजनीतिक दलों और राजनेताओं के गले की फांस और उलझन बन गया है। कांग्रेस की चूंक भाजपा के गले की हड्डी बनता दिखता है। मसला व्यापाक जनहित से जुड़ा होने के बाद भी जन भावनाओं से राजनीतिज्ञ खिलवाड़ कर रहे हैं। जबकि जंघई रेलवे स्टेशन पर कई टेनों का ठहराव पिछले कुछ सालों में हुआ है। रेल गाड़ी के ठहराव को लेकर पांचवी बार 30 मार्च को युवा समाजसेवी सुनील कुमार उपाध्याय और डा. भगौती प्रसाद गुप्त आमरण अनशन पर करेंगे। इसके लिए संबंधित जिम्मेदार अफसरों, रेल मंत्रायल के आलाधिकारियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को लिखित जानकारी दी गयी है।
वाराणसी-लखनऊ रेल रुट पर स्थित सुरियावां में कामायनी एक्सप्रेस के ठहराव को लेकर लंबे समय से मांग चली आ रही है। लेकिन इस मांग पर किसी ने गौर नहीं किया। यह मामला व्यापाक जनहित से जुड़ा है। भदोही जिले से ही नहीं अपितु पूरे पूर्वांचल के लोगों के रोजी-रोटी का जरिया मुंबई है। सुरियावां से काफी लोग मुंबई रहते हैं। परदेशियों की लंबे समय से मांग चली आ रही है कि कामायनी एक्सप्रेस का ठहराव सुरियावां में किया जाए। लेकिन रेल मंत्रायल एवं सांसदों की उपेक्षा से लोगों की मांग को अमली-जामा नहीं पहनाया जा सका है। इस मांग को लेकर तीन बार में तेरह दिन तक आमरण अनशन किया गया। रेल अधिकारियों ने रेल गाड़ी के ठहराव का भरोसा भी दिया। लेकिन आज तक यह मांग पूरी नहीं हो सकी। एक बार फिर युवा समाज सेवी एवं कांग्रेस के जिला महासचिव सुनील उपाध्याय और सुरियावां नगर के बरिष्ठ समाजसेवी एवं कांग्रेस नेता डा. भगौती प्रसाद गुप्त ने 30 मार्च से फिर आमरण अनशन का एलान किया है। इस बार अनशन करने वालों की चेतावनी है कि जब तक कामायनी एक्सप्रेस का ठहराव नहीं हो जाता। यह प्रदर्शन जारी रहेगा। भले की इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। अनशनकारियों को रेल अधिकारियों और राजनेताओं ने हर बार कारे आश्वासन के बाद छला है। बसपा सांसद गोरखनाथ पांडेय ने भी यूपीए की सरकार में कामायनी के ठहराव का भरोसा दिया था। लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ। भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह को भी पिछले प्रदर्शन में सुरियावां रेलवे स्टेशन पर आकर जनता के बीच ठहराव का आश्वासन देना था। लेकिन वे नहीं आए। हलांकि मीडिया में उन्होंने भरोसा दिया था कि सुरियावां रेलवे स्टेशन पर कामायनी का ठहराव होगा लेकिन कई माह बीतने के बाद भी उसका पता नहीं चला। अनशन की चेतावनी देने वाले सुनील कुमार उपाध्याय उर्फ बाबा का आरोप है कि कामायनी पर दलिय राजनीति की जा रही है। सांसद के आश्वसन के बाद भी ठहराव नहीं किया गया। जनहित के मुसले को बेतलब राजनीति की चैघट पर खींचा जा रहा है। इस बार का अनशन नया इतिहास लिखेगा। सुनील कुमार के बात में निश्चित तौर पर दम है। लेकिन आज जिस समस्या के लिए उन्हें जुझना पड़ रहा है उसकी जिम्मेदार और जबाबदेह सबसे अधिक कांग्रेस है। केंद्र में दस साल कांग्रेस की सरकार रही। उपाध्याय कांग्रेस के जुझारु कार्यकर्ता हैं। अगर कांग्रेस चाहती तो निश्चित तौर पर सुरियावां रेलवे स्टेशन पर कामायनी का ठहराव हो जाता। लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता खुद नहीं चाहे क्योंकि उस आंदोलन से सुनील की ताकत बढ़ जाती। अगर यह बात नहीं रही तो सवाल उठता है कि फिर क्यों नहीं कामायनी का ठहराव हुआ। आज वहीं मसला राजनीति का शिकार हो चला है। आंदोलन की बागडोर कांग्रेस के लोग कर रहे हैं। अगर कामायनी का ठहराव यहां होता भी है तो उसका श्रेय भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह और पार्टी को जाने के बजाय सुनील और कांग्रेस को मिलेगा। क्योंकि आंदोलन की शुरुवात उसकी की है। इस स्थिति में सियासतदार भला कब चाहेंगे की कामायनी एक्सप्रेस का ठहराव सुरियावां में हो। अब देखना है कि यह यह आंदोलन किस मोड पर समाप्त होता है।

Related

पूर्वांचल 2778615786203573372

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item