
जौनपुर। प्रभु श्रीराम का जीवन आदर्श ही ऐसा था कि हर कोई यह चाहता है कि पुत्र हो तो राम जैसा, भाई हो तो राम जैसा, पति हो तो राम जैसा, मित्र हो तो राम जैसा और राजा हो तो राम जैसा। भगवान श्रीराम का आचरण आज हम सभी के लिये अनुकरणीय है। उक्त विचार नगर पालिका परिषद जौनपुर के टाउन हाल के मैदान पर आयोजित सात दिवसीय श्रीरामकथा के दूसरे दिन प्रवचन करते हुये पं. आलोक मिश्र ने व्यक्त किया। इसी क्रम में रामेश्वरानन्द जी ने कहा कि मनुष्य के जीवन में काम, क्रोध, मोह सबसे बड़े बाधक हैं। ‘मोह सकल प्याधिन कर मूला’ की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि सतसंग के माध्यम से ही इन विकृतियों को दूर किया जा सता है। दिनेश चन्द्र मिश्र ‘दिनकर’ ने मानस की चैपाई ‘बुध विआय सकल जन रंजन’ की व्याख्या करते हुये कहा कि भगवान की कथा श्रवण से सभी संशयों का निवारण होता है। भगवान की लीला, कथा और चरित्र तीनों को अलग-अलग करके देखना चाहिये, क्योंकि भगवान की लीला देखकर ब्रह्मा जी को सन्देह को सकता है तो आमजन को क्यों नहीं, इसलिये भगवान की कथा संशय व भ्रम के निवारण में सहायक है। कथा का संचालन राजाराम त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर मोहन लाल मिश्र, विजय सिंह, मोहन जी, श्याम सुन्दर मिंगलानी, अनिल जायसवाल, गोपाल कृष्ण, सत्य प्रकाश, ईश्वर चन्द्र लाल, ओपी गुप्ता, राम आसरे के अलावा हजारों मानसप्रेमी उपस्थित रहे।