चहका, चैता व चौताल की तरंग में झूमे श्रोता

जौनपुर। बक्शा विकास खंड के चुरावनपुर गांव में रविवार की शाम घनी अमराई के बीच लोक संगीत के कलाकारों ने अपनी सुमधुर गायिकी से जमकर धमाल मचाया। प्रति वर्ष होने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन द्वारिकाधीश लोक संस्कृति संस्थान द्वारा किया गया।
लोक संगीत के प्रमुख गीतों जैसे चहका, चैता, बेलवइया, डेढ़ताल, कहरवा आदि की उत्कृष्ट प्रस्तुति लोक कलाकारों द्वारा की गई। जिसे सुन श्रोता गण देर रात्रि तक आनंदित होते रहे। गायक सुजानगंज निवासी सत्यनाथ पांडेय, कैलाश शुक्ल एवं साथी गायक श्रीपति उपाध्याय, अम्ब्रीश दुबे, लक्ष्मी उपाध्याय, राकेश तिवारी, संतराम, मोनू उपाध्याय, सुभाष उपाध्याय आदि कलाकारों ने चौताल 'फागुन के दिन गिनत फिराने चैत नियराने' तथा 'मोहे नैन वाण तकि मारे मुरलिया वाले' एवं उलारा गीत 'बालम मोर विदेशवा' तथा 'फागुन के दिन आए नियराने कंत जनि करहू विदेश पयाने' सुन श्रोता भाव विभोर हो गए।
गायक त्रिवेणी प्रसाद पाठक द्वारा प्रस्तुत बेलवइया 'जब पाय अंतरदेशी घरे चला आयय बलम परदेशी' सुन भाव विभोर हो गए। संयोजक मनोज मिश्र ने कहा कि फागुन एवं चैत मास में गाये जाने वाले इस सुमधुर संगीत की पहचान आने वाले समय में भी बनी रहे। यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। ऐसे आयोजनों से कलाकारों का उत्साहवर्धन भी होता है। इस मौके पर विद्या उपाध्याय, ढोलक वादक कृष्णानंद उपाध्याय, मनोज सिंह , शिव श्याम सिंह , अजय निगम, दान बहादुर सिंह , अशोक उपाध्याय, विपुल उपाध्याय आदि रहे। पत्रकार ओंकार मिश्र द्वारा आभार प्रकट किया गया।

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