
जौनपुर। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार चरम पर है। दुकानों पर वितरित किये जाने वाला गेहूं का अधिकांश भाग आटा मिल में बेच दिया जा रहा है। पूर्ति विभाग की मिली भगत से उपभोक्ताओं के हितों को बन्दरबांट किया जा रहा है। शिकायत पर कार्यवाही के बजाय उसपर लीपापोती करने की परंपरा के चलते सुधार नहीं हो पा रहा है। शहर में कुल कोटे की 77 दुकानें है। इनमें 20 दुकानों पर बोर्ड और सूची नहीं लगाया गया है। 10 दुकानें निलम्बित हैं उसका प्रकरण हाई कोर्ट इलाहाबाद में विचाराधीन है। चार अन्य दुकानें भी हवा में चलती है। इन 14 दुकानों को कई खास दुकानों से सम्बद्ध किया गया है। एक एक दुकान पर 1400 कार्ड धारकों को लगा दिया गया है, जिसपर मात्र 600 कार्ड धारकों को ही खाद्यान्न का वितरण किया जाता है। जबकि शेष खाद्यान्न तारापुर कालोनी में चल रहे आटा मिल पर काला बाजारी कर दिया जाता है। यही हाल मिट्टी के तेल के विक्रेताओ का भी है। दुकानें दूसरे के नाम पर चलाता कोई और है और मनमानी के चलते वितरण में भारी धांधली की जा रही है। दो चार दुकानों को खोलकर कुछ लोगों को ही सामान दिया जाता है। 50 प्रतिशत लोग तो सामान लेते ही नहीं है कुछ चक्कर लगाकर निराश हो जाते है। कुछ गरीबों को जरूर गेहू आदि मिल जाता है। राशन कार्ड के फार्म जमा करने के लिए पूर्ति विभाग द्वारा बताया गया था कि कार्यालय में एक काउण्टर बनाया जायेगा लेकिन काउण्टर आज तक नहीं खोला गया। एआरओ लक्ष्मण प्रसाद ने बताया है कि शीघ्र काउण्टर खुल जायेगा। नगर पालिका द्वारा राशन कार्ड का सत्यापन कराया जा रहा है। फार्म उपभोक्ताओं को निःशुल्क देने का प्राविधान है लेकिन कर्मचारी रूपये लेकर फार्म दे रहे है। उनहे इस बात की इजाजत नहीं कि कार्ड को निरस्त करें लेकिन वे ऐसा कर रहे है। यह विभाग राम भरोसे चल रहा है। पूर्ति निरीक्षक अपनी जेब भर रहे हैं और उपभोक्ता ठगा जा रहा है।