महान होते हैं संत तथा कल्याणकारी होती है सोचः श्रृद्धा बाबा

जौनपुर। संत महान होते हैं। उनकी सोच कल्याण की होती है। परमार्थ के कार्य करना उनका स्वभाव होता है। उक्त विचार परमहंस आरम पटना (बिहार) के परमपूज्य संत श्री श्रृद्धा बाबा ने लक्षनपुर (तरती) गांव में ‘संत को कैसे पहचानें’ विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में तथाकथित बाबाओं ने धर्म को व्यवसाय बना लिया है। देश में ऐसे बाबाओं की भरमार हो गयी है जो सही ढंग से संत के मायने क्या है, जानते ही नहीं। संत जात-पात एवं ऊंच-नीच के भेदभाव से दूर रहता है। उन्होंने कहा कि दो के समावेश से दुनिया बना है। आज समाज में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं जिन्हें दूर करते हुये निज के स्वरूप को जानने की कोशिश करना होगा। अन्त में उन्होंने कहा कि संत को पहचानने के लिये भक्ति के साथ दृष्टि चाहिये। कर्म ही साधु है। साधना, भजन, सिमरन, परमार्थ के लक्षण जिसमें दिखे, वही संत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वीरेन्द्र सिंह व संचालन जेडी सिंह ने किया। इस अवसर पर तीर्थराज पाण्डेय, रिंकू सिंह, शिवम् सिंह, छेदी सिंह, पप्पू सिंह, बृजेश मिश्र, रामजग पाण्डेय, जयशंकर सिंह, रूपनाथ पाण्डेय सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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