शहीदाने कर्बला का मनाया चेहल्लुम

 जौनपुर। जफराबाद कस्बे के मोहल्ला नासही में तारीखी चेहल्लुम गमगीन माहौल में मनाया गया। इस दौरान मजलिस का आयोजन हुआ और नौहा मातम के साथ जुलूस कर्बला पहुॅचा जहां सभी ताजिये सुपुर्द-ए-खाक किये गये। जुलूस का आगाज सोजखानी से हुआ जिसे तकी अब्बास आमिर व उनके हमनवा ने पढ़ा। इसके बाद पेशखानी शाकिर अब्बास, निसार अब्बास तथा दूर-दराज से आये शायरों ने खिराजे अकीदत पश किया। मौलाना सैयद मजहर अब्बास आब्दी ने इमाम हुवसैन के जीवन पर प्रकाशडालते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में अपने दुष्मनों की फौज जानवरों तक को अपने हिस्से का पानी दे दिया। उन्होंने कहा कि कर्बला की जंग इस्लाम की जंग थी जिसमें 72 के मुकाबले लाखों की फौज दुष्मनों की तरफ से जंग करने के लिए एकत्र हुई थी। एक अंगे्रज लेखक ने इतिहास में लिखा कि पहली बार ऐसी जंग देखने को मिल रही है जिसमें सिर्फ 72 के मुकाबले में इतनी बड़ी फौज ने जंग की। इस प्रकार देखने में तो आततायी यजीद जीत कर भी युद्ध हार गया, क्यांेकि आज यजीद का नाम लेने वाला कोई नहीं हैं जबकि हर मुल्क में या हुसैन, या हुसैन की आवाज बुलन्द हैं। मजलिस के बाद षबीहे अलम, ताबूत, झूला व जुलजनाह बरामद हुआ जिसकी जियारत दूर-दराज से आये तमाम अजादारों ने की और मन्नतें मांगी। इसके बाद तकरीर में हसन मेंहदी आब्दी ने अली असगर का मसायब जैसे ही पढ़ा तो अजादार दहाड़े मार कर रोने लगे और जुलजनाह को अली असगर के झूले से मिलाया गया। चेहल्लुम का जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ जफराबाद बाजार मे ंपहुॅचा जहाॅ पर अन्जुमनों ने जंजीर एवं छुरियों से मातम किया। इसके बाद जुलूस कर्बला के मैदान में पहुॅचा जहां पर उसे सुपुर्द-ए-खाक करने के बाद 72 शहीदों की याद में 72 मोमबत्तियां रोशन कर लोगों ने अलविदाई मातम किया।  संचालन इजहार हुसैन बब्बू ने किया। 

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