कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव की मातृभूमि बहा रही आंसू
https://www.shirazehind.com/2014/11/blog-post_786.html
जौनपुर। कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव की मातृ भूमि विकास का दंश झेल
रही है। शुरू में हुए विकास के बाद अब दुर्दशा के आंसू बहा रही है। लोगों
को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर भदोही जिले की सीमा पर कारो (गहरपुर) गांव स्थित है। छह बार विधायक, तीन बार मंत्री और दो बार सांसद रहे वर्तमान प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव की यह मातृभूमि है। श्री यादव अपने राजनीति का शुभारंभ भी इसी गांव से किए। माननीय बनने के बाद उन्होंने गांव में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पानी टंकी, सड़क और पशु चिकित्सालय आदि की व्यवस्था कराई जिसे देख लोग सुनहरे कल के सपने देखने लगे, किंतु चार हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव के लोगों के सपने अधूरे रहे। दिनों-दिन विकास की गति तीव्र होने की बजाए मंद होती गई। वर्तमान समय में हालत है कि बरसठी ब्लाक से 16 किमी दूरी पर स्थिति इस गांव में दुर्व्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात चिकित्सक कब आते-जाते हैं किसी को इस बात की जानकारी नहीं है। पशु चिकित्सालय पर दो वर्ष से कोई चिकित्सक तैनात ही नहीं हैं। अब बात पानी टंकी की तो डेढ़-वर्ष से बंद पड़ी हुई है। रही बात सड़क की तो वह खस्ताहाल हो चुकी है। लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
गांव की व्यवस्थाओं को देखने के बाद यह नहीं लगता है कि प्रदेश और जिले का विकास कराने का दावा करने वाले कैबिनेट मंत्री का यह गांव है। अब सवाल यह उठता है कि जहां कैबिनेट मंत्री पैदा हुए वहां की यह स्थिति है तो अन्य गांवों की क्या होगी।
जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर भदोही जिले की सीमा पर कारो (गहरपुर) गांव स्थित है। छह बार विधायक, तीन बार मंत्री और दो बार सांसद रहे वर्तमान प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव की यह मातृभूमि है। श्री यादव अपने राजनीति का शुभारंभ भी इसी गांव से किए। माननीय बनने के बाद उन्होंने गांव में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पानी टंकी, सड़क और पशु चिकित्सालय आदि की व्यवस्था कराई जिसे देख लोग सुनहरे कल के सपने देखने लगे, किंतु चार हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव के लोगों के सपने अधूरे रहे। दिनों-दिन विकास की गति तीव्र होने की बजाए मंद होती गई। वर्तमान समय में हालत है कि बरसठी ब्लाक से 16 किमी दूरी पर स्थिति इस गांव में दुर्व्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात चिकित्सक कब आते-जाते हैं किसी को इस बात की जानकारी नहीं है। पशु चिकित्सालय पर दो वर्ष से कोई चिकित्सक तैनात ही नहीं हैं। अब बात पानी टंकी की तो डेढ़-वर्ष से बंद पड़ी हुई है। रही बात सड़क की तो वह खस्ताहाल हो चुकी है। लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
गांव की व्यवस्थाओं को देखने के बाद यह नहीं लगता है कि प्रदेश और जिले का विकास कराने का दावा करने वाले कैबिनेट मंत्री का यह गांव है। अब सवाल यह उठता है कि जहां कैबिनेट मंत्री पैदा हुए वहां की यह स्थिति है तो अन्य गांवों की क्या होगी।