लंका की सभा में अंगद ने घटाया रावण का मान
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भदोही।( गोपीगंज) भगवान प्रभु राम ने रावण को समझाने और सीत को वापस करने के लिए अंगद को दूत बना कर लंका भेजा। लेकिन अभिमानी रावण पर इसका असर नहीं हुआ। इस दौरान अंगद ने खुद महाराज लंकेश की सभा में उसे खरा-खरा संदेश दिया। गोपीगंज नगर के कबूतर नाथ धाम में चल रही रामलीला में अंगद रावण संवाद का मंचन लोगों ने खूब सराहा।
इस दौरान रावण की सभा में पहुंच कर अंगद ने अपना परिचय दिया। रावण और अंगद के मध्य तीखा संवाद हुआ। प्रभावशाली मंचन और संवाद हो देख आयी भीड़ उत्साहित हो चली। अंगद ने रावण से कहा कि वह प्रभुन श्रीराम से संधि कर ले। लेकिन इसका असर रावण पर नहीं दिखा। रावण का अभिमान झुकाने के लिए अंगद ने चुनौती देते हुए अपना पैर जमीन में गाड दिया और उसे उखाड़ने की चुनौती दे डाली। लेेकिन लंका का कोई वीर उसे टस से मस नहीं कर सका। जब खुद रावण पैर उठाने आगे आया तो अंगद ने पांव हटा लिया और उसे राम से संधि करने की सीख दी। इस दौरान शिवशंकर गुप्त, विनय जायसवाल,मोहित सिंह, मनोज जायसवाल और दूसरे लोग मौजूद थे।
इस दौरान रावण की सभा में पहुंच कर अंगद ने अपना परिचय दिया। रावण और अंगद के मध्य तीखा संवाद हुआ। प्रभावशाली मंचन और संवाद हो देख आयी भीड़ उत्साहित हो चली। अंगद ने रावण से कहा कि वह प्रभुन श्रीराम से संधि कर ले। लेकिन इसका असर रावण पर नहीं दिखा। रावण का अभिमान झुकाने के लिए अंगद ने चुनौती देते हुए अपना पैर जमीन में गाड दिया और उसे उखाड़ने की चुनौती दे डाली। लेेकिन लंका का कोई वीर उसे टस से मस नहीं कर सका। जब खुद रावण पैर उठाने आगे आया तो अंगद ने पांव हटा लिया और उसे राम से संधि करने की सीख दी। इस दौरान शिवशंकर गुप्त, विनय जायसवाल,मोहित सिंह, मनोज जायसवाल और दूसरे लोग मौजूद थे।