निजी एजेंसियों के हवाले बाबा दरबार की व्यवस्था
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वाराणसी । काशी विश्वनाथ मंदिर के विकास का अंतरराष्ट्रीय प्लान तैयार किया जा रहा
है। इसमें खासतौर पर दर्शनार्थियों की सुविधा का ख्याल रखा जाएगा। जोर
होगा कि दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी न हो। व्यवस्थाओं के
सुचारु संचालन में निजी एजेंसियों की भी मदद ली जाएगी।
बाबा दरबार से जुड़ी योजनाओं के बारे में ये जानकारियां धर्मार्थ कार्य मंत्री विजय मिश्र ने दी। सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि मंदिर में सफाई, बिजली, पानी व रखरखाव संबंधी इंतजामों में निजी एजेंसियों की मदद ली जाएगी। मंदिर में अवैध पंडों पर नजर है और मिलावटी पूजन सामग्री व प्रसाद बेचने वालों पर भी सख्त कार्रवाई होगी। मंगला आरती के समय में परिवर्तन की चर्चाओं को विराम देते हुए मंत्री ने कहा कि पूजा-पाठ या पद्धति में किसी तरह का परिवर्तन या हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि फिलहाल दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए भवनों के विकास को 84 लाख रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं। पहले चरण में तीन भवनों का अधिग्रहण कर लिया जाएगा। इसमें मंदिर से लगा सीके 35/08, छत्ताद्वार व मीरजापुर भवन शामिल हैं। गोयनका भवन गंगा से 200 मीटर परिधि में आने पर विकास के रोड़े की बाबत उन्होंने कहा कि रूपरेखा तैयार की जा रही है। तीसरे शिखर को स्वर्ण मंडित कराने के लिए मंदिर भवन की मजबूती आंक रहे हैं। सीबीआरआइ रुड़की व मुंबई की एजेंसी इस पर काम कर रही है। रिजल्ट आते ही पेंट हटाना भी शुरू कर दिया जाएगा। इससे पहले मंत्री ने मंदिर परिसर व अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित भवनों का निरीक्षण किया।
बाबा दरबार से जुड़ी योजनाओं के बारे में ये जानकारियां धर्मार्थ कार्य मंत्री विजय मिश्र ने दी। सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि मंदिर में सफाई, बिजली, पानी व रखरखाव संबंधी इंतजामों में निजी एजेंसियों की मदद ली जाएगी। मंदिर में अवैध पंडों पर नजर है और मिलावटी पूजन सामग्री व प्रसाद बेचने वालों पर भी सख्त कार्रवाई होगी। मंगला आरती के समय में परिवर्तन की चर्चाओं को विराम देते हुए मंत्री ने कहा कि पूजा-पाठ या पद्धति में किसी तरह का परिवर्तन या हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि फिलहाल दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए भवनों के विकास को 84 लाख रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं। पहले चरण में तीन भवनों का अधिग्रहण कर लिया जाएगा। इसमें मंदिर से लगा सीके 35/08, छत्ताद्वार व मीरजापुर भवन शामिल हैं। गोयनका भवन गंगा से 200 मीटर परिधि में आने पर विकास के रोड़े की बाबत उन्होंने कहा कि रूपरेखा तैयार की जा रही है। तीसरे शिखर को स्वर्ण मंडित कराने के लिए मंदिर भवन की मजबूती आंक रहे हैं। सीबीआरआइ रुड़की व मुंबई की एजेंसी इस पर काम कर रही है। रिजल्ट आते ही पेंट हटाना भी शुरू कर दिया जाएगा। इससे पहले मंत्री ने मंदिर परिसर व अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित भवनों का निरीक्षण किया।