अखंड सुहाग की कामना लिए महिलाये रखती है हरतालिका तीजोत्सव का ब्रत

  जौनपुर ।  सुहाग की दीर्घायु की कामना का प्रतीक हरतालिका तीजोत्सव गुरुवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। बुधवार को महादेव की नगरी काशी में हर तरफ इस पर्व की धूम रही। महि‍लाओं ने बाजारों में जमकर खरीदारी की। वनिता पॉलीटेक्निक में महि‍लाओं ने पारंपरिक परिधानों को धारण कर और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर छात्राओं से मेंहदी रचाई। इस अवसर पर शिव पार्वती का पूजन और रुद्राभिषेक भी किया गया। 
 बताते चलें कि‍ गौरा पार्वती से अखंड सुहाग की कामना लिए महिलाएं निराजल व्रत रहती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना से भी करती हैं। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। 27 अगस्‍त की रात 10 बजकर 24 मि‍नट पर तृतीया लग रहा है, जो अगले दिन 28 अगस्‍त की रात 11 बजकर 41 मि‍नट तक रहेगा। उदिया 28  तारीख को है, इसलिए पर्व उसी दिन मनाया जाएगा। 
 आचार्य पं. ऋषि द्दिवेदी ने बताया कि राजा दक्ष  ने एक बार अपने यहां यज्ञ का आयोजन किया। सभी देवताओं को बुलाया गया। महादेव भोले शंकर को नहीं बुलाया गया। इस पर पुत्री सती  काफी नाराज हुई और उसी यज्ञ कुंड में अपना देह त्याग कर दिया। अगले जन्म में उन्‍होंने हिमालयराज के यहां मां मैना के गोद में पार्वती के रूप में जन्‍म लि‍या।
इस दौरान वह बाल्य काल से ही शिव की अराधना में लीन हो गई। शास्त्रों के अनुसार, माता पार्वती ने शिव की बालू की मूर्ति बनाकर पूजा की थी। इसके बाद भगवान शिव ने प्रकट होकर उनको अपने पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। 

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