उच्च न्यायालय ने भू माफियाओं के मंसूबे को किया फेल
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जौनपुर। जनपद में पूरी तरह से सक्रिय भू माफियाओं का हौंसला दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है तभी तो अभी तक गरीब, नाबालिग, विधवाओं, निरीह लोगों की जमीन, मकान आदि पर कब्जा करने वाले ये लोग अब मंदिर पर अपना निशाना साधना शुरू कर दिये हैं। राजनीतिक संरक्षण के चलते ये जिला व पुलिस प्रशासन पर हावी होकर अपना काम करते हैं जबकि इनसे पीडि़त न्याय पाने के लिये जगह-जगह अपना मत्था रगड़ते हुये थक-हार करके इसी को अपनी नियति मानकर बैठ जाते हैं। इसी तरह का एक मामला अति प्राचीन स्वयंभू सारनाथ महादेव उतरेजपुर के ऐतिहासिक मंदिर का रहा जहां लगभग 13 एकड़ भू-सम्पत्ति को हड़पने का प्रयास किया गया था लेकिन उच्च न्यायालय इलाहाबाद के फैसले से माफियाओं के मंसूबे पर पानी फिर गया था। मंदिर प्रकरण में योजित याचिका संख्या 260, 42/2008 शम्भूनाथ सहित अन्य बनाम स्वयंभू सारनाथ महादेव मंदिर में भू-सम्पत्ति की आराजी की लगभग 13 एकड़ जमीन है। यह जमीन जमींदारी के समय से ही मंदिर के नाम दर्ज है जिसके मालिक स्वयं भगवान शंकर है। बता दें कि उक्त जमीन को कुछ भू-माफिया वर्ष 2007-08 में कब्जा करना चाहे जो मिलीभगत करके राजस्व विभाग में अपना नाम भी दर्ज करा लिये। इस पर मंदिर प्रबंध कमेटी की अध्यक्ष/प्रबंधक माला शुक्ला ने जिलाधिकारी से शिकायत किया जिसके बाद मामला चकबंदी विभाग को सौंप दिया गया। जांचोपरांत में फरेब का मामला सामने आया जिस पर उपसंचालक चकबंदी ने 6 दिसम्बर 2007 एवं 15 ई 2008 को आदेश देकर जमीन को मंदिर के नाम कर दिया लेकिन माफिया संगठित होकर उच्च न्यायालय चले गये जहां एक पक्षीय स्थगनादेश दे दिया गया। इस पर मंदिर कमेटी ने इस आदेश के खिलाफ एक याचिका योजित किया जिसके मद्देनजर उच्च न्यायालय ने 21 जुलाई 104 को उप संचालक चकबंदी के आदेश को बहाल कर दिया। वहीं माफियाओं ने सारनाथ मंदिर की सोसायटी के खिलाफ भी तत्कालीन उपजिलाधिकरी गुलाब चन्द्र राम से शिकायत करते हुये कहा कि सोसायटी अवैध है जिस पर श्री राम ने रजिस्ट्रार चिट फण्ड द्वारा प्रदत्त पंजीयन प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। 16 जून 2011 को इस विरूद्ध मंदिर कमेटी ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल किया जिस पर विद्वान न्यायमूर्ति ने उपजिलाधिकारी के आदेश के निरस्त कर दिया। ऐसे में जहां विपक्षी अब भी मंदिर की सम्पत्ति को हड़पने का जुगाड़ कर रहे हैं, वहीं उच्च न्यायालय द्वारा मंदिर पक्ष में न्यायसंगत आदेश दिये जाने से हिन्दू समाज में खुशी व्याप्त है।