ढोलक की थाप पर गीत गाकर रोजेदारों को जगाने का काम करके सबाब बटोरती है टोलिया
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जौनपुर। रमजान का महीना गुनाहों से तौबा करना और लोगो की सेवा कर के सवाब कमाने का
महीना कहा जाता है इसी उद्देश्य से जौनपुर में नवयुवको की टोली प्रतिदिन
अर्धरात्रि 2 बजे से रोजेदारो को सहरी में जगाने के लिए टोलिया बनाकर रमजान
की फ़ज़ीलत पर आधारित गीत गा कर जगाते है ये सिलसिला सहरी का समय समाप्त
होने तक जरी रहता है | इस टोली में नवयुवको के साथ साथ बच्चे और बुज़ुर्ग भी
शामिल रहते है | इनका मानना है की ऐसा करने से उनको सवाब मिलता है |
कई पीढियों से रमजान की फ़ज़ीलत का गीत गाकर रोजेदारो को जगाने का काम कर रही इस टोली के लोगो का ये आमदनी का जरिया नहीं है बल्कि ये लोग रोजेदारो को सहरी में जगा कर सहरी करने का काम कर के खुदा के नज़दीक अपनी कुर्बत का इज़हार कर रहे है | इन लोगो का मानना है की रोजेदार सहरी में जग कर सहरी करे ताकि उनको तपिश की गर्मी में रोज़ा रखने में सहूलियत हो और जिससे हमलोगों को सवाब मिले | इस टोली के नवजवान ढोलक , ताशा , के साथ सामूहिक रूप से रमजान की फ़ज़ीलत सहरी के समय बयान करते है | इन लोगो का मानना है की अगर मेरी गीत और आवाज़ से एक भी रोजेदार सहरी के समय उठकर सहरी खा लेता है तो उनका मकसद कामयाब हो गया | ऐसा काम सिर्फ खुदा की बारगाह में अपनी सच्ची अकीदत का इज़हार करने के लिए ही करते है
कई पीढियों से रमजान की फ़ज़ीलत का गीत गाकर रोजेदारो को जगाने का काम कर रही इस टोली के लोगो का ये आमदनी का जरिया नहीं है बल्कि ये लोग रोजेदारो को सहरी में जगा कर सहरी करने का काम कर के खुदा के नज़दीक अपनी कुर्बत का इज़हार कर रहे है | इन लोगो का मानना है की रोजेदार सहरी में जग कर सहरी करे ताकि उनको तपिश की गर्मी में रोज़ा रखने में सहूलियत हो और जिससे हमलोगों को सवाब मिले | इस टोली के नवजवान ढोलक , ताशा , के साथ सामूहिक रूप से रमजान की फ़ज़ीलत सहरी के समय बयान करते है | इन लोगो का मानना है की अगर मेरी गीत और आवाज़ से एक भी रोजेदार सहरी के समय उठकर सहरी खा लेता है तो उनका मकसद कामयाब हो गया | ऐसा काम सिर्फ खुदा की बारगाह में अपनी सच्ची अकीदत का इज़हार करने के लिए ही करते है