पावन पर्व नागपंचमी पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
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जौनपुर। नागों से मानव जीवन का अटूट रिश्ता रहा है तथा ऋग्वेद, रामायण, महाभारत सहित अन्य ग्रंथों में सुरसा व तक्षक सहित कद्र आदि का वर्णन है। नाग एक जाति थी जो वनों, कंदराओं, पहाड़ों में रहती थी तथा सर्प विशेषज्ञ तंत्र-मंत्र में माहिर थीं। नागकन्याएं यथा-मन्दोदरी, सुलोचना, उलूमी आदि गुणों की खान तथा अनुपम सुन्दरी होती थी। सर्प वातावरण का विष पीकर तथा खतरनाक चूहों, कीड़ों का शिकार करके मानवता की अनुपम सेवा करते हैं। ये शिव के आभूषण एवं कालकूट का विष पीकर जहरीले हुये हैं। उक्त बातें पावन पर्व नागपंचमी की पूर्व संध्या पर नगर के शकरमण्डी में आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये ज्योतिर्विद/जूरी जज डा. दिलीप सिंह ने कही। इसके अलावा मुम्बई से आये प्रमोद उपाध्याय, समाजसेविका पद्मा सिंह, डा. आरडी सिंह सहित अन्य वक्ताआंे ने कहा कि नागपंचमी का अद्वितीय सांस्कृतिक महत्व है एवं दंगल अखाड़े, कुश्ती, कूद, खेलकूद, कजली, सावनी गीत इसके अभिन्न अंग हैं जो देशभक्ति, देश रक्षाहित में आवश्यक है। इस अवसर पर दिनेश सिंह, अलका, शिप्रा, विपिन मौर्य, वैज्ञानिक दुर्गेश पाठक, राजकुमार, सुरेश, रामचन्द्र मोगरे, मुकेश, जितेन्द्र तिवारी, अमित मिश्रा, रूनझुन, गौरी, संतोष सिंह, प्रहलाद सिंह, पूनम सिंह, दिव्येन्दु सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।