जौनपुर का सबसे प्राचीन चतुर्मुखी शिवलिंग बख्शा थाना अंतर्गत ग्राम चुरामणिपुर में
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जौनपुर जनपद के बख्शा थाना अंतर्गत ग्राम चुरामणिपुर में गोमती नदी से जुड़े एक बड़े नाले के समीप ही एक अति प्राचीन मूर्ति है ,जो कि चतुर्मुखी शिवलिंग अथवा अर्धनारीश्वर प्रतिमा है तथा इस मूर्ति की पहचान जनसामान्य में चम्मुख्बीर बाबा के नाम से एक ग्राम देवता के रूप में की जाती है य़हा पूरे सावन भर या यूँ कहिये हर मंगल वार को दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है। इस मूर्ति की बहुत सारे चमत्क़रों की चर्चा स्थानीय लोगों में है। कहते हैं की इस मूर्ति की लम्बाई और मोटाई समय के साथ बढ़ रही है और इस मूर्ति की गहराई का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया। कुछेक लोंगो नें पहले इसका प्रयास किया लेकिन वे नाकाम रहे। इस सम्बन्ध में प्राच्य इतिहास विद डॉ मनोज मिश्र नें बताया कि मूर्ति कला कि दृष्टि से यह मूर्ति अपने आप में एक बेजोड़ प्रस्तुति है एवं सामान्यतया ऐसी मूर्ति का निदर्शन उत्तर -भारत में कम है .इतिहास कारों ने प्रथम दृष्टि में इसे गुप्तकालीन कृति माना है जिसकी प्राचीनता कुषाण काल तक जाती है। यदि संदर्भित क्षेत्र विशेष में बड़े पैमाने पर पुरातात्त्विक उत्खनन सम्पादित कराएँ जाएँ तो निश्चित रूप से जौनपुर और भारत के प्रारंभिक इतिहास लेखन में कुछ और महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त हो सकती हैं . ऐसे शिवलिंगों का जौनपुर में पाये जाने से एक बात जरूर सिद्ध होती है की जौनपुर शैव मतावलम्बियों का कभी गढ़ रहा होगा।